Wednesday 13 March 2019

आभाव ग्रस्त महिलाओं का सशक्तिकरण ही अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की सार्थकता



"अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस" यानी महिलाओं के योगदान और उपलब्धियों के लिए उन्हें सम्मानित करना, उनके कार्यो की सराहना करना, उनके लिए प्यार और सम्मान जाताना, उनके अधिकारों के लिए लड़ना और उनकी सुरक्षा एवं रक्षा के लिए प्रतिबद्ध होना एँव आभाव ग्रस्त महिलाओं का सशक्तिकरण ही हमारे लिए सच्चे अर्थो मे "अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस" का मनाना और उसकी सार्थकता कहलायेगा |

जब लगभग पुरे देश की कई संस्थाएं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सुसज्जित मंचों से कई छोटे बड़े आयोजनों को कर समाज में मुकाम बनाने वाली महिलाओं को सम्मानित कर रहीं थीं, तब समूण फॉउंडेशन की टीम एक छोटे से गाँव मराड़ जो कि देवप्रयाग से लगभग 30 - 40 किलोमीटर की दुरी पर भरपुर से ब्रांच रोड से होकर और फिर पैदल चलकर कुछ दुरी पर स्तिथ है । वँहा जाकर एक दिव्यांग बहन मनीषा से मिली जो कि विकलांग होने के कारण चल फिर नहीं सकती और माता पिता का साया भी तब उठ गया था जब वह मात्र 3 वर्ष की थी | मनीषा अपने चाचा के मकान में रहती है जो भी टुटने की कगार पर है एवं पत्थर तोड कर रोढी और बजरी बेच कर अपना जीवन यापन करती है | राशन कार्ड न होने के कारण विकलाँगता पेँशन डेढ साल से बँद पडी थी लेकिन समूण परिवार की कोशिसोँ के फलस्वरुप विकलाँगता पेँशन फिर से शुरु हो गयी है, लेकिन अभी भी जीवन की मूलभूत आवश्यक्तायेँ जैसे विजली, पानी, शौचालय और भोजन बनाने हेतु गैस के कनेक्सन से वँचित है ।

जीवन की उन तमाम चुनौतियां की जिनकी हम सिर्फ हम कल्पना की कर सकते है वह हर मुश्किल इस दिव्यांग बहन मनीषा के नसीब में हैं, पर मनीषा ने कभी परिस्थितियों के आगे हार नहीं मानी और ना ही कभी किसी के आगे हाथ फैला कर स्वाभिमान से समझौता किया, मनीषा आज भी रोड़ी-बजरी तोड़कर और सिलाई कर अपना जीवन यापन करती है। सच्चे मायने में ऐसी ही महिलाएं हमारे समाज के लिए प्रेरणादायक है जो कि विषम से विषम परिस्थितिओं में भी आत्मविश्वाश और स्वाभिमान के साथ हर हालात का मुकाबला करती है । 

समूण फॉउंडेशन ने निश्चय किया था कि यह महिला दिवस हम बहन मनीषा को समर्पित करेंगे और इसलिए हमारे सदस्य अरविन्द जियाल संस्था की तरफ से बहन मनीषा से मिलने पहुंचे और उनके कठिन जीवन को कुछ सुगम करने हेतु प्रचुर मात्रा में राशन और अन्य दैनिक उपयोग की सामग्री प्रदान की । मनीषा के पास राशन कार्ड न होने की वजह से न तो सरकारी राशन मिल पा रही है और न ही किसी भी सरकारी योजना का लाभ । समूण परिवार देहरादुन जा कर क्षेत्रिय विधायक और मंत्री सुबोध उनियाल जी से भी मनिशा के बारे मे मिल चुकी है और एक लेटर भी दिया लेकिन फिर भी कुछ नही हुआ ।
मनिशा के बेहतर जीवन यापन के लिए समूण परिवार प्रयासरत है और एक छोटी सी सहयोग राशी रुपये 10,000/- मनिशा के खाते मे ट्रांसफर 31 मार्च 2019 से पहले कर दिये जायेंगे । 


धन्यवाद 
समूनण परिवार 
मानवता की सेवा हेतु समर्पित