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Sunday, 12 June 2016

Help of pahadi bhula send back to India

    शारजँहा मे इक रेस्टोरेँट मे अपना एक पहाडी भुला पिछले देढ साल से कार्यरत था । इस रेस्टोरेँट के मालिक द्वारा उसका पिछले देढ साल से शोषण हो रहा था ।  उसे डेढ साल मे अभी तक एक भी छुट्टी नही मिली और 14-16 घँटो तक काम करने के लिये मजबूर किया जा रहा था ।  भारत मे उससे यह वादा किया गया कि मासिक 20 हजार रुपये सेलरी तथा अतिरिक्त भत्ता दिया जायेगा लेकिन जब यँहा पर आया तो उसे मात्र 800/- दिर्हाम सेलरी दी जा रही थी जो कि कभी भी समय पर नही मिलती थी । उसने भारत मे  बीजा के लिये कर्ज निकाल कर 35000/- रुपये दिये थे तथा यँहा पर भी प्रत्येक महिने सेलरी से बीजा के पैसे काटे जा रहे थे ।  

     जब उसने रेस्टोरेँट के मालिक को निवेदन किया कि मुझे वापस भारत भेज दो क्योकिँ मै भारत मे इससे अच्छी नौकरी व अच्छी सेलरी ले रहा था तो इस रेस्टोरेँट के मालिक ने उसका बीजा कैँसल करने से मना कर दिया और कहा कि आपका पासपोर्ट मेरे पास है आपको दो साल पुरे काम करना पडेगा । काफी रिक्वेस्ट करने के बाद भी जब उसने बीजा कैसँल करने व पासपोर्ट न देने को कहा तो हमने मिनिस्ट्री औफ लेबर मे 10 मार्च 2016 को केस फाईल किया जिसकी पहली सुनवाई 3 अप्रैल 2016 को आयी लेकिन पहली सुनवायी मे रेस्टोरेँट का मालिक नही आया फिर हमे दुसरी सुनवायी 5 अप्रैल की मिली, दुसरी सुनवायी  मे हरप्रीत सिँह (औनर औफ रेस्टोरेँट) आया लेकिन मिनिस्ट्री के आदेशा दिया कि जल्द से जल्द इसका बीजा कैसल कर दिया जाय ।  लेकिन हरप्रीत वँहा से हाँ कह कर चला गया और बीजा कैसल नही किया, फिर तीसरी सुनवायी 7 अप्रैल और अगली 10 अप्रैल को रेस्टोरेँट का मालिक सुनवाई मे नही आया और फिर मिनिस्ट्री ने बिना रिजल्ट ये केस बंद कर दिया । 

 जब हमे मिनिस्ट्री से कोई अच्छे परिणाम नही मिले तो फिर हमने ईंडियन कौसुलेट, दुबई मे औनर के खिलाफ सिकायत दर्ज किया ईंडियन कौसुँलेट ने भी अपने स्तर पर कोशिस की लेकिन औनर ने पास्पोर्ट नही दिया । फिर जाके हमने 3-4 पुलिस स्टेशनो के चक्कर काटे लेकिन कहीँ से भी कोई अच्छे परिणाम नही मिले । फिर दोबारा हमने मिनिस्ट्री औफ लेबर मे 18 अप्रैल को दुसरी कम्पलेट की और जिसकी सुनवायी फिर से 1 महिने बाद की आयी साथ ही साथ रेस्टोरेँट के स्पोँसर से भी बात करते रहे लेकिन अभी तक कुछ सकारात्मक परिणाम देखने के नही मिल रहेँ है । अन्तत: हमने अपनी कम्प्लेटँ 25 अप्रैल को वापस ले ली । 

मिनिस्ट्री और ईण्डियन कौसुलेट से काफी निवेदन के बाद ईंडियन कौसुलेट ने 24 अप्रैल को हरप्रीत को फिर से एक ईमेल भेजा जिसमे उससे पासपोर्ट देने को कहा गया फिर 29 अप्रैल को रेस्टोरेट के मालिक ने बीजा कैसल किया लेकिन पास्पोर्ट अभी भी नही दे रहा है । हरप्रीत ने 10 मार्च को ही इस पहाडी भुला को कमरे से निकाल दिया था और पिछले 3 महिने से भुखा प्यासा ये भुला सडको पर रह कर अपना दिन गुजार रहा था । 

इस रेस्टोरेँट के मालिक ने पिछले 3 महिने की भी सेलरी नही दी । हमने भी पिछले 3-4 महिने से हरप्रीत के सम्पर्क किया व अपने स्तर पर काफी रिक्वेस्ट और लडाई की लेकिन उससे पासपोर्ट लेने मे असमर्थ थे । अब फाईनली वह पासपोर्ट देने के लिये तैयार हो गया था लेकिन कहता है कि पहले मुझे टिकिट खरिद के दो और मै पासपोर्ट ऐअरपोर्ट पे दुँग़ा । 

हमने ईंडियन कौसुलेट से टिकिट के लिये निवेदन किया था और वँहा से टिकिट तो मिल तो जाता लेकिन न जाने कब तक मिलता  ये मालुम नही था । ये भूला प्रत्येक दिन बहुत ही कष्ट मे ब्यतित कर रहा है और किसी भी तरह जल्द से जल्द वापस अपना गाँव जाना चाहता है । 
अंतत: हमने ईस भूला के लिये टिकिट खरिदी और सकुसल वापस भारत भेजा । 

अत: ये सन्देश है उन सभी पहाडी भाईयोँ को जो विदेश जाने की चाह मे कभी कभी बहुत गलत जगह फँस जाते है । इसलिये हमेशा पुरी जानकारी के साथ सभी दस्तावेजो और नौकरी समबँधी कौंट्रेक्ट की जाँच पडताल करने के बाद ही हस्ताक्षर करेँ । हम सिर्फ विदेश जाने की खुशी मे सेलरी नही देखते और फिर यँहा आ कर पछताते है इसलिये जो भी फैसला ले सोच समझ के लिये और किसी से पहले इस विषय मे जानकारी ले । 

यदि आपको किसी भी देश के बारे मे जानकारी चाहिये तो आप हमे ईमेल के माध्यम से जानकारी ले  सकते है हमारी कोशिस रहेगी कि उस देश व उस कम्पनी के बारे मे जानकारी प्राप्त करा सकेँ । 



धन्यवाद !टीम समूण 
3 मई, 2016

Help of Rajamani send back to India

हमे आपको यह बताते हुये हर्ष ही नही अपीतु खुशी हो रही है कि "पोन्मारी राजामणी" एक दक्षिण भारतीय मजदुर शारजँहा मे एक रेस्टोरेंट मे मा कार्यरत था, वापस सकुसल भारत पहुँच गया।

रेस्टोँरेट का मालिक इस गरिब मजदुर से बिना सेलरी का काम करवा रहा था जब राजमणी तनख्वा के लिये पुछता तो मालिक उसे मारने की धमकी देता साथ ही भारत मे इस बेचारे मजदुर के घर मे फोन करके उसके बच्चे एँव पत्नि को धमकी देता कि मै आपके पति को ये कर दुंगा ओ कर दुंगा । राजामणी वापस भारत जाना चाहता था लेकिन रेस्टोरेँट का मालिक उसे जाने नही देता । राजामणी बहुत डरा हुवा था बस किसी भी तरह से अपने वापस भारत जाने का ईंतजार कर रहा था ।

किसी से जानकारी लेते हुये यह मजदुर जब हमारे पास आया तो सबसे पहले हमने शारजँहा मे ईंडियन एशोसियसन से हेल्प की गुहार लगायी वँहा से भी जब कुछ सहयोग नही मिला तो हमने मिनिस्ट्री औफ लेबर मे कम्प्लेट दर्ज किया उसके बात और्नर को मिनिस्ट्री मे बुलाया गया और राजामणी को मिनिस्ट्री के आदेश पर विजा निरस्त करने के बाद वापस भारत भेजने को कहा गया ।

फिर भी रेस्टोरेँट के मालिक ने पासपोर्ट नही दिया फिर जा के हमने ईमिग्रेसन डिपार्टमेँट मे कोम्प्लैंट दर्ज की और फिर जा के 1 महिने बाद औनर ने उसका टिकट समेत पासपोर्ट वापस दिया ।

देर सही पर हमे खुशी है कि हमारी एक कोशिस से हम राजामणी को भारत भेजने मे सफल हुय । येसे ही न जाने कितने राजामणी है जो की मजबूरी बस मालिक की यातनाये सहते हुये यँहा पर अपना जीवन यापन कर रहे है । 


धन्यवाद !टीम समूण 
28 दिसम्बर, 2015