Monday, 12 June 2017

मानवता मेरा धर्म है (Humanity is my Religion)

मैं यों ही अपने काम से निकला था कि रास्ते मे एक गन्ने की जूस की ठेली पर जूस पीने रुक गया । वह सामने से आया और जूस की ठेली के सामने खड़ा हो गया मैन पूछा जूस पिओगे ? उसने गर्दन हिला कर हां कहा मैन जूस वाले को 2 जूस के गिलास बनाने को बोला जैसे ही वह सामने आया उससे बहुत ही बुरी दुर्गंध आ रही थी, बाल लंबे, बढ़ी हुई दाढ़ी और बहुत दिनों से भूखा । 
 मैन उसे अपनी स्कूटी में बिठाया और नाई के पास ले गया एक जगह से मना होने के बाद मैं फिर दूसरे नाई के पास ले गया उसने बाल और दाड़ी काटने के लिए हां तो कर दिया लेकिन सिर्फ मशीन से काटने को कहा । मैन कहा जैसे भी काटते हो काटो, फिर मैं दुकान से नए अंडर गारमेंट एंव नहाने की साबुन और अपने घर से अपने पुराने कपड़े ले गया ।
बाल काटने के बाद जब मैं उसे नहलाने ले गया तो बदबू के कारण वहां पर लोगो ने उसे नहलाने से मना कर दिया जब मैंने गुस्सा से बोला तो उन्होंने हां कर दिया, नहलाने के लिए जब मैंने उसके कपड़े उतारे तो देखकर आश्चर्य चकित रह गया । वह मेंटली डिस्टर्ब था और कपड़ो में ही मल मूत्र करता था जो कि पैंट से पैर के रास्ते बाहर आता था। मल पूरे शरीर पर सुख चुका था जिसे पत्थरों से रगड़ रगड़ कर निकाला गया । उसे नहलाने में मैं अकेला था और बाकी के लोग बस दूर से देख रहे थे उनमें से 1 - 2 दयालु लोग भी थे जो आगे आये और मेरा साथ दिया ।
नहलाने के बाद पता चला कि उसके सर पर एक गहरी चोट लगी हुई है, फिर मैं उसे नजदीकी क्लिनिक ले गया और चोट पर मरहम पट्टी की ।
उसे खाना खिलाया और अलविदा कह कर अपने काम पर आगे निकल गया । अपने बिजी स्कीडुल से मैने बस 2 घंटे निकले और मात्र 400 - 500 रुपये का खर्च आया । मैं उसे जादा तो नही पर कुछ दिनों के लिय नरक जैसे जिंदगी से मनुष्य जैसी जिंदगी दिलाने में सफल हुआ और उसके बाद जो संतुष्टि मिली उसे लिख नही सकता ।
आपके आस पास भी ऐसे बहुत से लोग है बस अपना एक घंटा मानवता के लिए क्योंकि मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है । 

विनोद जेठुड़ी 
टीम समूण 

 





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