Monday, 31 July 2017

समूण परिवार द्वारा 1000 पौधोँ का सफलतापुर्वक वृक्षारोपण

समूण परिवार के सदस्य वृक्षारोपण को अपनी सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी और पेडोँ से अपना रिश्ता कायम करते हुए “पेडोँ से है रिश्ता हमारा” व्रक्षारोपण कार्यक्रम के तहत हर वर्ष 1000 पौधोँ के वृर्क्षारोपण का लक्ष्य रखतेँ है और हर हाल मे इसे पुर्ण करते है ।
“समूण” परिवार के सदस्योँ व गांववासियों के सहयोग से पिछले वर्ष भी हमने 1000 पौधोँ का सफलतापुर्ण वृर्क्षारोपण किया था और इस वर्ष भी कल दिनाँक 30/07/2017 को गाँव सौड और साकनी मे 600 पौधोँ का सफलतापुर्वक वृक्षारोपण किया और आज दिनाँक 31/07/2017 को ओंकारानँद सरस्वती राजकीय महा विध्यालय, देवप्रयाग, राजकीय इटरमिडियट कालेज - मुन्नाखाल, प्रार्थमिक विध्यालय - सौड और प्रार्थमिक विध्यालय साकनी मे कुल बाकी के 400 पौधोँ का वृक्षारोपण किया गया । जिनमे आम, अनार, अमरुद, तेज पात, शहतूत, जामून, बाँस, गुरियाळ, आमला एत्यादी प्रजातियोँ के पौधे थे । साथ ही गांव वासियो व छात्र छात्राओँ को पेडोँ के महत्व व पेडोँ को बचाए रखने हेतु जागरुकता कार्यक्रम भी किये गये ।
इस कार्य मे सहयोग करने वाले ग्रामिणो तथा विध्यालयोँ को समूण फाउँडेशन की ओर से ट्राफी देकर सम्मानित किया गया साथ ही इस वर्ष के लगाये गये पौधोँ का समूण टीम अगले वर्ष निरिक्षण करेगी और जीवित पाये गये पौधोँ की देख रेख करने वालोँ सम्मानित करेगी ।
समूण टीम के निम्नलिखित सदस्योँ ने इस इस वृक्षारोपण कार्यक्रम को सफल बनाने मे अहम सहयोग प्रदान किया ।
कमल कांत सिँह, कमल जोशी, मनोज रावत, अर्जुन रावत, नरेंद्र मैठाणी, प्रवीन चौहान, जितेंद्र जरधारी नेगी, अरविंद जियाल, रविंद्र नेगी, सुमन राणा, यशपाल सिँह जेठुडी, नित्यानँद डोभाल, जय सिँह जेठुडी और विध्यार्थी पालिवाल
सभी गाँववासियोँ, विध्यालय के प्रधानाचार्योँ शिक्षकोँ, विध्यार्थियोँ, और समूण टीम के सदस्योँ का इस अभियान मे सहयोग हेतु कोटी कोटी धन्यवाद !



Please click here to see all the project pics:- https://www.facebook.com/media/set/?set=a.1119192894882422.1073741836.116774188457636&type=1&l=b6ff388f8f

 धन्यवाद 
टीम समूण

Saturday, 15 July 2017

समूण परिवार द्वारा पर्यावरण सँरक्षण हेतु "पेडोँ से है रिश्ता हमारा” कार्यक्रम ओन 30/07/2017



   पेड का हमारे जीवन में भोजन और पानी की तरह महत्व हैं, पेड़ के बिना मानव जीवन की कल्पना करना व्यर्थ है | हमें स्वस्थ और समृद्ध जीवन देने में पेड़ो का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है । हमें अधिक से अधिक संख्या में अपने निजी और सरकारी जमीन पर वृक्ष लगाने चाहिए जिससे प्रकृति का संतुलन बना रहे और प्राकृतिक आपदाओं को रोका जाय | वन, भूस्खलन को रोकते है और हमें शुद्ध ऑक्सीजन देते है । वन देश और राज्य की प्रगति में हमें आर्थिक सहयोग देते हैं | मानव सृष्टि का सर्वश्रेष्ट प्राणी है इसलिए वृक्षारोपण मानव समाज का दायित्व है |
   प्राचीन काल से ही मानव और प्रकृति का घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है । भोजन, वस्त्र और आवास की समस्याओं का समाधान भी इन्हीं वनों से हुआ है । 
  बचपन में लकड़ी के पालने में झूलना, बुढ़ापे में उसका सहारा लेकर चलना और जीवन लीला की समाप्ति पर इन्हीं लकड़ियों पर सोना मनुष्य की अन्तिम गति है । इन वृक्षों से हमें शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है । घने वनों की हरियाली देखकर मन प्रफुल्लित हो उठता है ।
   वृक्ष स्वयं धूप में रहकर हमें छाया देते हैं । जब तक हरे-भरे रहते हैं तब तक हमें फल, सब्जियां देते हैं और सूखने पर ईंधन के लिए लकड़ी देते हैं । इन्हीं वृक्षों की हरी पत्तियों और फलों को खाकर गाय, भैंस, बकरी आदि जानवर दूध देते हैं जिसमें हमें प्रोटीन मिलता है ।
अर्ताथ: कह सकते है कि पेड नही तो जीवन नही जो आदि काल से पेडोँ के साथ हमारा रिश्ता चला आया है हमे वह रिश्ता निरंतर कायम रखना होगा, इसलिये इस कार्यक्रम का नाम “पेडोँ से है रिश्ता हमारा” रखा गया है ।
   प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि वह अपने जीवन में एक वृक्ष अवश्य लगाए । आज हम स्वार्थ के लिए पेड़ तो काटते है लेकिन लेकिन पेड़ लगाना भूल जाते है जिससे ग्लोबल वार्मिग की समस्या आज इतनी उग्र होती चली जा रही है । आओ अपने जीवन में एक पौधा लगाए और पेड़ बनने तक उसकी देखभाल करे तभी सच्चे अर्थो मेँ हम प्रक्रति के साथ अपना रिश्ता कायम कर सकते है ।
  समूण परिवार के सदस्य विर्क्षारोपण को अपनी जिम्मेदारी और पेडोँ से अपना रिश्ता कायम करते हुए “पेडोँ से है रिश्ता हमारा” कार्यक्रम के तहत 1100 पौधोँ के विर्क्षारोपण का लक्ष्य रखतेँ है और हर हाल मे इसे पुर्ण करते है । “समूण” परिवार व गांववासियों के सहयोग से इस वर्ष भी हम इस महीने (जुलाई) में 1100 पौधोँ का विर्क्षारोपण का लक्ष्य रखा है, साथ ही गांव वासियो को पेडोँ के महत्व व पेडोँ को बचाए रखने हेतु जागरुकता कार्यक्रम भी किये जायेंगे | 
  आप सभी से सहयोग की अपील की जाती है यदि आप फिजिकल रूप से हमें इस कार्यक्रम मे सहयोग नहीं कर सकते तो अपने नाम से या परिवार के किसी ब्यक्ति के नाम से एक पेड़ के लिए 250/- रुपये की धनराशी दान देकर एक पौधा लगवा सकते है | “पेँडो से है रिश्ता हमारा” कार्यक्रम के तहत आपके नाम से उस वृक्ष को लगाया जाएगा और उसकी फोटो आपके साथ साझा किया जाएगा ताकि आपका और उस पेड के बीच मे एक रिश्ता कायम हो सके ।

Contribution can be transferred to Samoon account as below:

A/C NAME ; SAMOON FOUNDATION
A/C NO. : 914010040541847
BRANCH : AXIS BANK, CITY CENTRE, RISHIKESH
IFSC CODE : UTIB0000156
SWIFT CODE : AXISINBB093
MICR CODE : 249211102

धन्यवाद टीम समूण

"पेडोँ से है रिश्ता हमारा" कर्यक्रम के तहत 1100 पौधो का विर्क्षारोपण


यों तो हर साल उत्तराखंड में बहुत मुसलाधार बारिश होती है लेकिन पिछले २-४ सालों से बरसात के समय कुछ न कुछ अप्रिय घटना सुनने को मिल रही है | हम सभी को इस विषय पर आत्मचिंतन करते हुए प्राकृतिक आपदाओं के मूल कारण व इन कारणों के समाधानों पर कार्य करने की जरुरत है | मैंने जब इस विषय पर गंभीरता से सोचा तो उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं के निम्नलिखित मूल कारणों को पाया :-
कारण:-
*      क्षेत्र में विकास के नाम पर जंगलो के वृक्षों का अत्यधिक कटान |
*      विकास के नाम पर बनी विजली के परियोजनाओं से पहाडो का कमजोर होना |
*      लकड़ी तस्करों का जंगलो से अच्छे अच्छे प्रजातियों के वृक्षों का कटान करना जो की मिट्टी तथा पत्थरो को अपने जड़ो से जकड कर रखते थे व भूस्खलन को रोकने में सहायक होते थे |
*      पहाड़ के मूल निवासियों का पलायन करना तथा बहारी लोगो का पहाड़ में बसना जो की सिर्फ पैसे कमाने के मकसद से उत्तराखंड में आते है और प्रकृति को हानी पहुचाते है |
*      बढ़ती जनसख्या से जंगलो को काट काट कर आवासीय क्षेत्र में परिवर्तित किया जा रहा है जिससे कि दिन प्रतिदिन हमारे जंगल ख़त्म होते जा रहे है |
*      सही जानकारी का अभाव, जान-माल की सुरक्षा के इस मुद्दे पर लोगों में जानकारी का अभाव |
*      गदेरे (खालो) और नदी के किनारों पर बन रहे अत्यधिक निर्माणों को रोकने हेतु सरकार का विफल प्रयास
आदि बहुत से कारण है  जिससे हर मानसून में जीवनसंपत्तिकृषि-भूमिसड़कोंआदि की हानि होती है जिसमे से भूस्कलन सबसे मुख्या है | चट्टानोंमिट्टी और वनस्‍पतियों का किसी ढलान पर नीचे की ओर खिसकना ही भूस्‍खलन है। भूस्‍खलनएक चट्टान के छोटे से टुकड़े से लेकर,मलबे व पानी  के बहुत बड़े बहाव के रूप में हो होता है जिसमें भारी मात्रा में मिट्टी और पानी कई किलोमीटर तक अपने रास्ते में जो भी मिलाता है उसे समेटते हुए ले जाता है |
उत्तराखंड की प्राकृतिक सौन्दर्य ही हमारी धरोहर है लेकिन दिन प्रतिदिन ये हमारी खुबसूरत सी धरोहर नष्ट होती जा रही है | अगर प्रकृति के साथ इसी तरह से हस्तक्षेप जारी रहा तो भविष्य में भूस्खलन अत्यधिक बढ़ सकते हैं|
उपाय:-
इसके रोकने का एक ही उपाय है “वृक्षारोपण”
धन्यवाद 
"टीम समूण"

Thursday, 6 July 2017

कुछ बेटियाँ योँ भी - गौरिशा जैसी


दुनिया मे अनेको प्रकार के लोग आपको देखने को मिलेंगे, कुछ लोग योँ भी मिलेंगे जो बहुत ही स्वार्थी होते है और जीवन मे कभी किसी को 1 रुपये तक की मदद नही करते वँही कुछ लोग गौरिशा जैसे भी है जो निर्णय कर लेते है कि जीवन मे पहली कमाई नेक कार्य से होगी । गौरिशा समूण परिवार के वरिष्ठ सदस्य श्री कमल कांत जी की बेटी है, । समूण फाउंडेशन की ओर से हमने 41 बचो की लिस्ट भेजी थी जिन बच्चोँ को पढाई हेतु आर्थिक सहायता चाहिये थी, पिताजी से जब गौरिशा को यह जानकारी मिली तो गौरिशा ने उसी वक्त पिताजी को कह दिया कि मेरी नौकरी लगते ही मै अपनी पहली तनख्वा इन बच्चो के भविष्य के लिये देना चहती हूँ और आज जब गौरिशा की पहली सेलरी मिली तो सबसे पहले गौरिशा ने 30,000 रुपये समूण के खाते मे ट्रन्स्फर किये । 
गौरिशा जैसी संस्कारीदयालु और परोपकारी बेटी सबको मिले और येसे विचार हर किसी के मन मे आए जैसी मात्र 25 साल की उम्र मे गौरिशा के मन मे आए । 
जादा नही तो मात्र 1 रुपया रोज का कठ्ठा करे और साल भर बाद 365/- रुपये बनने पर किसी जरुरत्मंद की मदद हेतु अवश्य देँ ।
दान करने से और जरुरतमँद लोगो की मदद करने से आप देखोगे कि आपके धन मे दिन दो गुनी और रात चौ गुनी बढोतरी होगी ।  

चिड़िया चोंच भरि ले गई, घट्यो न नदी को नीर ।
दान दिये धन ना घटे, कहि गये दास कबीर ॥
अर्थ: संत कबीर दास जी कहते हैं कि जिस प्रकार चिड़िया के चोंच भर पानी ले लेने से नदी के जल में कोई कमी नहीं आती है ठीक उसी प्रकार जरूरतमंद को दान देने से किसी के धन में कोई कमी नहीं आती है ।

दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार,
तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार।
अर्थ: संत कबीर दास जी कहते हैं कि मनुष्य के रूप में मिला हुआ यह जन्म एक लम्बे अवसर के बाद मिलता है अतः इसे व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए अपितु इस सुअवसर को जीव हित के लिए उपयोग करना चाहिए । यह अवसर हाथ से निकलने के पश्चात पुनः नहीं मिल सकता जिस प्रकार वृक्ष से झड़े हुए पत्ते उस पर पुनः नहीं जोड़े जा सकते ।

आईये समूण से जुडेँ और मानवता की सेवा करते हुए पुण्य का भागिदार बनेँ । 
समूण की सदस्यता शुल्क भी 1 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 365/- रुपये साल का है जो हम किसी जरूरतमंद की मदद हेतु प्रयोग करते है
धन्यवाद 
"टीम समूण"