Thursday, 6 July 2017

कुछ बेटियाँ योँ भी - गौरिशा जैसी


दुनिया मे अनेको प्रकार के लोग आपको देखने को मिलेंगे, कुछ लोग योँ भी मिलेंगे जो बहुत ही स्वार्थी होते है और जीवन मे कभी किसी को 1 रुपये तक की मदद नही करते वँही कुछ लोग गौरिशा जैसे भी है जो निर्णय कर लेते है कि जीवन मे पहली कमाई नेक कार्य से होगी । गौरिशा समूण परिवार के वरिष्ठ सदस्य श्री कमल कांत जी की बेटी है, । समूण फाउंडेशन की ओर से हमने 41 बचो की लिस्ट भेजी थी जिन बच्चोँ को पढाई हेतु आर्थिक सहायता चाहिये थी, पिताजी से जब गौरिशा को यह जानकारी मिली तो गौरिशा ने उसी वक्त पिताजी को कह दिया कि मेरी नौकरी लगते ही मै अपनी पहली तनख्वा इन बच्चो के भविष्य के लिये देना चहती हूँ और आज जब गौरिशा की पहली सेलरी मिली तो सबसे पहले गौरिशा ने 30,000 रुपये समूण के खाते मे ट्रन्स्फर किये । 
गौरिशा जैसी संस्कारीदयालु और परोपकारी बेटी सबको मिले और येसे विचार हर किसी के मन मे आए जैसी मात्र 25 साल की उम्र मे गौरिशा के मन मे आए । 
जादा नही तो मात्र 1 रुपया रोज का कठ्ठा करे और साल भर बाद 365/- रुपये बनने पर किसी जरुरत्मंद की मदद हेतु अवश्य देँ ।
दान करने से और जरुरतमँद लोगो की मदद करने से आप देखोगे कि आपके धन मे दिन दो गुनी और रात चौ गुनी बढोतरी होगी ।  

चिड़िया चोंच भरि ले गई, घट्यो न नदी को नीर ।
दान दिये धन ना घटे, कहि गये दास कबीर ॥
अर्थ: संत कबीर दास जी कहते हैं कि जिस प्रकार चिड़िया के चोंच भर पानी ले लेने से नदी के जल में कोई कमी नहीं आती है ठीक उसी प्रकार जरूरतमंद को दान देने से किसी के धन में कोई कमी नहीं आती है ।

दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार,
तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार।
अर्थ: संत कबीर दास जी कहते हैं कि मनुष्य के रूप में मिला हुआ यह जन्म एक लम्बे अवसर के बाद मिलता है अतः इसे व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए अपितु इस सुअवसर को जीव हित के लिए उपयोग करना चाहिए । यह अवसर हाथ से निकलने के पश्चात पुनः नहीं मिल सकता जिस प्रकार वृक्ष से झड़े हुए पत्ते उस पर पुनः नहीं जोड़े जा सकते ।

आईये समूण से जुडेँ और मानवता की सेवा करते हुए पुण्य का भागिदार बनेँ । 
समूण की सदस्यता शुल्क भी 1 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 365/- रुपये साल का है जो हम किसी जरूरतमंद की मदद हेतु प्रयोग करते है
धन्यवाद 
"टीम समूण"


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