Sunday, 18 December 2016

टीम समूण द्वारा जरुरतमम्दो को गर्म् कपडे प्रदान किए गए

     समूण फाँउडेशन की टीम ने ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून मे एक अभियान शुरु किया था जिसमे लोगोँ से निवेदन किया गया कि उनके घरोँ मे जितने भी गर्म कपडे है जो छोटे पड चुकेँ है या जिन्हे आप प्रयोग नही करते जरुरतमँँदो के लिए दान देँ । 15 अक्टुबर से 15 दिसम्बर तक सोसल मिडिया, प्रिंट मिडिया और पोस्टर एवँ बैनेरोँ माध्यम से हमने इस अभियान का प्रचार प्रसार किया ।
     तीनो शहरोँ से हमे लोगोँ का अपार सहयोग मिला और बडी सँख्या मे कनफरमेशन दिया तपश्चात हमने कपडोँ को एकत्रित करने के बाद रिसाईकल किया और कल दिनाँक 17/12/2016 को ऋषिकेश के स्लम एरिया मे जरुरतमँदो को वितरित किये । साथ ही टीम ने रात को ऋषिकेश शहर का भर्मण कर खुले आसमान के निचे सो रहे जरुरतमँदो को कँबल भी वितरित किये ।
     शायद हम इतनी बडी सँख्या मे जरुरतमँदो को मदद नही कर पाए लेकिन हमारा मकसद था कि लोगोँ को पुराने कपडे दान देने हेतु प्रेरित करेँ । कुछ लोग पुराने कपडॉ के बदले नयेँ बर्तन ईत्यादी खरिद लेते है या सिर्फ मात्र कुछ पैसोँ मे पुराने कपडे बेच देते है, यदि हम इसकी तुलना मे किसी जरुरतमँद को दान दे तो उससे शायद पैसे तो नही पर जो पुण्य मिलता है उसका कोई मोल नही ।
      समूण फाँऊडेशन मानवता को समर्पित एक सँस्था है जो कि मानवता की सेवा हेतु कार्यरत है ।
टीम समूण के निम्ंलिखित सदस्योँ के सहयोग से यह प्रोजेक्ट सफलतापुर्वक सम्पन्न हुआ ।

ऋषिकेश टीम:-  कमल जोशी & नरेन्द्र मैठाणी  & प्रविन चौहान्
हरिद्वार टीम :-  कमल काँत सिँह, मनोज रावत & रविन्द्र नेगी
देहरादून टीम :-  शिवानी जुनेझा, अर्जुन रावत, अर्जुन नेगी & भरत बिष्ट 




















धन्यवाद, 
टीम समूण 

Sunday, 23 October 2016

Request to donate old warm clothes & blankets for needy people

Many among India’s poor and underprivileged are forced to live under the open sky in the street in freezing weather of December & January. 

As many as 10,933 Indians (an average of 781 per year) have died over the past 14 years–between 2001 to 2014–due to “cold and exposure”, an analysis of statistics on accidental deaths due to natural causes obtained from the Open Government Data (OGD) Platform of Government of India reveals.

We all SAMOON members will heartily like to plead you all to donate some of your old clothes & blankets which are not been used by you so that we can donate them to needy people.

We welcome all kinds of clothing donations like warm winter coat that you’re not wearing anymore, clothes that your children have outgrown & Blankets which are in usable condition not only make their lives better but also promote the eco-friendly concept of recycling. What is waste for you is resource for the less fortunate. So instead of throwing away something, Donate it! 

You can what’s up or email us your name and location, our team will collect these items from you and will donate to needy people on your behalf.

Thanking you !

"TEAM SAMOON"

जरुरतमँदो के लिये पुराने कपडे दान करेँ ।


दिसम्बर और जनवरी की कडकडाती ठँड मे जँहा हम लोग अपने घरोँ मे गरम कपडो को पहने हुये रजाई और कम्बलोँ मे रहकर ठँड से बचते है, वँही हमारे बीच मे कुछ येसे भी लोग हैँ जो खुले आसमान के निचे रात गुजारने को मजबूर होते है परिणाम स्वरूप हर साल उत्तर भारत मे सैकडोँ लोगोँ को कडाके की ठँड के कारण अपनी जान गवानी पडती है जिनमे छोटे-छोटे बच्चोँ और महिलाओँ की सँख्या अधिक होती है ।
मनुष्य की तीन आधारभूत आवश्यकाताएँ होती हैं - रोटी, कपड़ा और मकान। रोटी और मकान अगर हम नही दे सकते तो घर मे पुराने या छोटे पड चुके कपडोँ को जरुरतमँदो के लिए दान करेँ ।
यदि आपके घर मे पुराने या छोटे पड चुके गर्म कपडेँ,कँबल या रजाई है जो कि प्रयोग मे नही है तो आप “समूण” सदस्योँ के लिखे नम्बरोँ पर व्ट्स अप या ईमेल के माध्यम से अपना नाम और पता भेज देँ हमारी टीम आपको सम्पर्क करेगी और आपसे यह सहयोग एकत्रित करके जरुरतमदोँ तक पहुँचायेगी ।
यदि आप नए कपडोँ व कम्बलोँ के लिये आर्थिक सहयोग करना चाहतेँ है तो आपका स्वागत है ।
धन्यवाद ।
"टीम समूण"

Saturday, 3 September 2016

समूण परिवार द्वारा 1000 वृक्षोँ का सफलतापुर्वक वृक्षारोपण

समूण परिवार के सदस्यों एवं गाँव वासियो के सहयोग से समूण फाउण्डेशन ने 25 जुलाई से 31 जुलाई, 2016 तक 1000 वृक्ष लगाने के लक्ष्य को पूर्ण किया है । जिनमे जामुन , शहतूत, अनार, आम, बांस और गुर्याल इत्यादि प्रजातियों के पेड़ थे ।
राजकीय इंटर कॉलेज मुन्नाखाल, प्रार्थमिक विद्यालय सौड़, गाँव अंवाणी और सौड़ गाँव में गाँव वासियो की निजी भूमि पर यह वृक्षारोपण किया गया साथ ही ऋशिकेश मे लोगो के पँसद के अनुसार नर्सरी से वृक्ष खरिदे गये और उनके घरो के समीप लगाया गये । 
इस अभियान में समूण परिवार को सहयोग करने के लिए राजकीय इंटर कॉलेज मुनाखाल के अध्यापकों एवं विद्यार्थियों, प्रार्थमिक विद्यालय सौड़ की अध्यापिका एंम शिष्य, सौड़ गाँव के गाँव वासियों एँव शीशम झाड़ी ऋषिकेश के निवासियों का तहदिल से हार्दिक धन्यवाद ।


"टीम समूण"

Tuesday, 5 July 2016

वृक्षारोपण

यों तो उत्तराखंड के जंगलो में हर साल गर्मियों में आग लगती है परन्तु इस साल 2016 की गर्मियों में फरवरी से अप्रैल तक 88 दिनों से जादा समय तक लगी भीषण आग से 3 हजार एकड के लगभग जमीन जलाकर खाख हो गयी और लगभग 6 से अधिक बेकसूर लोगों को अपनी जान गवानी पडी |
  अभी “उत्तराखंड” इस भीषण आग के दुख: से उबर भी नहीं पाया था कि  फिर से आसमानी बारिश ने पिथोरागढ़ और चमोली वही किया जिसका हम सबको डर था, जिसमे की अभी तक 30 से अधिक लोगों को की मौत हो चुकी है |
आखिर क्यों ???????
यों तो हर साल उत्तराखंड में बहुत मुसलाधार बारिश होती है लेकिन पिछले २-४ सालों से बरसात के समय कुछ न कुछ अप्रिय घटना सुनने को मिल रही है | हम सभी को इस विषय पर आत्मचिंतन करते हुए प्राकृतिक आपदाओं के मूल कारण व इन कारणों के समाधानों पर कार्य करने की जरुरत है | मैंने जब इस विषय पर गंभीरता से सोचा तो उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं के निम्नलिखित मूल कारणों को पाया :-
कारण:-
*      क्षेत्र में विकास के नाम पर जंगलो के वृक्षों का अत्यधिक कटान |
*      विकास के नाम पर बनी विजली के परियोजनाओं से पहाडो का कमजोर होना |
*      लकड़ी तस्करों का जंगलो से अच्छे अच्छे प्रजातियों के वृक्षों का कटान करना जो की मिट्टी तथा पत्थरो को अपने जड़ो से जकड कर रखते थे व भूस्खलन को रोकने में सहायक होते थे |
*      पहाड़ के मूल निवासियों का पलायन करना तथा बहारी लोगो का पहाड़ में बसना जो की सिर्फ पैसे कमाने के मकसद से उत्तराखंड में आते है और प्रकृति को हानी पहुचाते है |
*      बढ़ती जनसख्या से जंगलो को काट काट कर आवासीय क्षेत्र में परिवर्तित किया जा रहा है जिससे कि दिन प्रतिदिन हमारे जंगल ख़त्म होते जा रहे है |
*      सही जानकारी का अभाव, जान-माल की सुरक्षा के इस मुद्दे पर लोगों में जानकारी का अभाव |
*      गदेरे (खालो) और नदी के किनारों पर बन रहे अत्यधिक निर्माणों को रोकने हेतु सरकार का विफल प्रयास
आदि बहुत से कारण है  जिससे हर मानसून में जीवन, संपत्ति, कृषि-भूमि, सड़कों, आदि की हानि होती है जिसमे से भूस्कलन सबसे मुख्या है | चट्टानों, मिट्टी और वनस्‍पतियों का किसी ढलान पर नीचे की ओर खिसकना ही भूस्‍खलन है। भूस्‍खलन, एक चट्टान के छोटे से टुकड़े से लेकर, मलबे व पानी  के बहुत बड़े बहाव के रूप में हो होता है जिसमें भारी मात्रा में मिट्टी और पानी कई किलोमीटर तक अपने रास्ते में जो भी मिलाता है उसे समेटते हुए ले जाता है |
उत्तराखंड की प्राकृतिक सौन्दर्य ही हमारी धरोहर है लेकिन दिन प्रतिदिन ये हमारी खुबसूरत सी धरोहर नष्ट होती जा रही है | अगर प्रकृति के साथ इसी तरह से हस्तक्षेप जारी रहा तो भविष्य में भूस्खलन अत्यधिक बढ़ सकते हैं|
उपाय:-
इसके रोकने का एक ही उपाय है “वृक्षारोपण”
हमें अधिक से अधिक संख्या में अपने निजी और सरकारी जमीन पर वृक्ष लगाने चाहिए जिससे प्रकृति का संतुलन बना रहे और येसी प्राकृतिक आपदाओं को रोका जाय | वन भूस्कलन को रकते है और हमें शुद्ध ऑक्सीजन देते है, वनों की हरियाली के बिना मानव जीवन की कल्पना करना व्यर्थ है | वन देश और राज्य की प्रगति में हमें आर्थिक सहयोग देते हैं |

प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि वह अपने जीवन में एक वृक्ष अवश्य लगाए । आज हम स्वार्थ के लिए पेड़ तो काटते है लेकिन लेकिन पेड़ लगाना भूल जाते है जिससे यह समस्या आज इतनी उग्र होती चली जा रही है । आओ अपने जीवन में एक पौधा लगाए और पेड़ बनने तक उसकी देखभाल करे |
समूण परिवार के सदस्यों व गांववासियों के सहयोग से हमने रविवार दिनांक 31 जुलाई को ग्राम सौड और ग्राम कुर्न पट्टी भरपूर, टिहरी गढ़वाल में वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत 1100 वृक्ष लगाने का लक्ष्य रखा है, साथ ही गांव वासियो को वनों के महत्व व वनों को बचाए रखने हेतु सरकार की योजनाओं के बारे में भी जागरुक किया जाएगा |
आप सभी से सहयोग की अपील की जाती है यदि आप फिजिकल रूप से हमें इस प्रोजेक्ट में सहयोग नहीं कर सकते तो एक पेड़ के लिए 250/- रुपये का धनराशी दान देकर अपने नाम से एक वृक्ष लगवा सकते है | आपके नाम से उस वृक्ष को लगाया जाएगा और उसकी फोटो आपके साथ साझा किया जाएगा |
धन्यवाद !
“टीम समूण”