Tuesday 9 March 2021

आइये जानते है समूण के बारे मे

“समूण” एक गढ़वाली - उत्तराखंडी शब्द है जिसका अर्थ होता है किसी को कोई भावनात्मक तोहफा देना जो सदा यादगार रहे, अतार्थ किसी के द्वारा किसी को दी गयी येँसी भेँट जो कि दोनो के लिये हमेशा यादगार बनी रहे समूण कहलाती है। ENGLISH मे SAMOON (Social And Mankind Organization Of Nation) अतार्थ “देश का सामाजिक और मानवता सँगठन” रखा गया है| समूण के माध्यम से हम आपकी समूण शिक्षा, मानवता, गरिबी, बिमारी, भाषा, संस्कृति व रोटी कपडा और मकान आदि क्षेत्रो मे समर्पित कर रहे है ।

जीवन की मुलभूत आवश्यकताओ की पुर्ति हेतु आप सभी विभिन्न क्षेत्रोँ मे विश्व के विभिन्न देशोँ मे भिन्न – भिन्न कार्यो मे ब्यस्त है । जीवन की इस भागदौड भरी जिँदगी मे अगर हम थोडा बहुत समय सामाजिक कार्यो व पुन्य के कामो मे लगाते है तो उससे हमे जो अप्रत्यक्ष रुप से लाभ होता है उसकी तुलना प्रत्यक्ष रुप से मिये हुये लाभ से नही की जा सकती |

हमे मालुम है कि हर इंसान अपने स्तर पर किसी ना किसी प्रकार के मानवीय, सामाजिक व धार्मिक कार्यो मे लगे हुये हैँ, होंगे । हम सब चाहते हैँ कि हम जीवन मे दुसरे ज़रुरतमँद लोगोँ की मदद करे लेकिन यह कार्य अकेला करना थोडा मुस्किल होता है । जो काम हम अकेला नही कर सकते वह काम हम सब मिलकर एक सँगठन के माध्यम से कर सकते है और इसी उद्देश्य के साथ हमने "समूण फाऊँडेशन" नामक सँस्था का निर्माण 2010 मे किया और 2014 मेे रजिस्ट्रेशन, संस्था के माध्यम से समय समय पर हमने जरुरतमँदो की मदद करने की कोशिस भी की और कर रहेँ है ।

अमीरी-गरीबी, जाति-धर्म, भेद-भाव, रंग-रूप से पहले हम सब मनुष्य है और “मानवता” हमारा धर्म है, मनुष्य का पहला गुण “दयालुता” है, जिस मनुष्य के हर्दय में “दया” नहीं वह मानव कहलाने योग्य नही | बहुत से येसे लोग जैसे – (अनाथ, लाचार, बेसहारे, विकलांग, विधवा, बेबस, द्रष्टीहीन, बीमार, कमजोर मानसिक स्तिथी) आदि जिनको एक बक्त की रोटी नसीब नहीं होती, भूखे-प्यासे रहते हुए बहुत ही दुखद: जीवन ब्यतित कर रहे है| मानवता के नाते हमारा नैतिक कर्तब्य बनता है कि हम सब मिलकर येसे लोगो की सहायता करें, उनके दुःख दर्द को बांटते हुये उन्हे हर सम्भव खुशी प्रदान करने की कोशिस करेँ, साथ ही मानसिक रुप से प्रबल एँव आर्थिक रुप से कमजोर परिवार के बच्चोँ की शिक्षा के लिये आर्थिक सहायता प्रदान करना एवं येसे बच्चोँ का मार्गदर्शन करना भी ग्रुप का मुख्य उद्देश्य है | 


पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन-चेतना को जागृत करते हुए वृक्षारोपण करना व लोगो को वृक्षारोपण हेतु प्रोत्साहित करना जिससे की प्रकृति के दोहन को रोका जा सके हेतु भी “समूण” कार्यरत है |
बिलुप्त होती भारतीय क्षेत्रीय भाषायेँ एँव संस्कृति को बचाये रखने व इनके सर्जन व सवर्धन के लिये भी समूण ग्रुप कार्यरत है |

समूण की सदस्यता शुल्क 1 रूपये प्रति दिन के हिसाब से ₹365/- प्रति वर्ष रखी गई है । विद्यार्थियों, बेरोजगारों, वृद्ध व्यक्तियों एँव जो लोग देने मे सक्षम नही है के लिए फ्री सदस्यता का प्रावधान है । सदस्यता शुक्ल और डोनेशन के माध्यम से हमें जो भी धनराशि हमें प्राप्त होती है को परोपकारिता के कार्यो में लगाते है और प्राप्त धनराशि का प्रति वर्ष चार्टेड अककॉउंटेंट के माध्यम से ऑडिट होता है और उसकी एक प्रति भारत सरकार को सबमिट किया जाता है । समूण का यदि कोई भी सदस्य किसी भी प्रकार के गलत कार्योँ मे लिप्त पाया जाता है तो उसकी सदस्यता तत्काल निलब्तित की जाती है ।

हमारा सदैव ही यह कोशिस रहती है कि हम अपने सभी सदस्यो के साथ पारदर्शिता बनाय रखे ताकि समूण के प्रति आपका विश्वाश बना रहे और आप समूण से जुड़कर प्राउड फील करें इसलिए हर एक सदस्य के पास यह अधिकार है कि वह अपने द्वारा दिये गये सदस्यता शुल्क या दान राशि के उपयोग में बारे में जानकारी हाशिल कर सकते है ।

मनुष्य को सामाजिक प्राणी माना गया है। उससे समाज बनता भी है और मनुष्य समाज का ऋणी भी है। समाज से ही सीखकर वह अपनी कीमत बनाता है। मनुष्य ऋणी है तो वह अपने इस ऋण को चुकाने के लिए अपनी वृत्ति में दान भाव को जागृत करे। जैसे-जैसे वह किसी से ले रहा है, वैसे-वैसे वह उसी को लौटाने का भी प्रयत्न करे।

विनोद जेेठुडी
समूूूण परिवार

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