Saturday, 19 November 2016
Sunday, 23 October 2016
Request to donate old warm clothes & blankets for needy people
Many among India’s poor and underprivileged are forced to live under the open sky in the street in freezing weather of December & January.
As many as 10,933 Indians (an average of 781 per year) have died over the past 14 years–between 2001 to 2014–due to “cold and exposure”, an analysis of statistics on accidental deaths due to natural causes obtained from the Open Government Data (OGD) Platform of Government of India reveals.
We all SAMOON members will heartily like to plead you all to donate some of your old clothes & blankets which are not been used by you so that we can donate them to needy people.
We welcome all kinds of clothing donations like warm winter coat that you’re not wearing anymore, clothes that your children have outgrown & Blankets which are in usable condition not only make their lives better but also promote the eco-friendly concept of recycling. What is waste for you is resource for the less fortunate. So instead of throwing away something, Donate it!
You can what’s up or email us your name and location, our team will collect these items from you and will donate to needy people on your behalf.
Thanking you !
"TEAM SAMOON"
जरुरतमँदो के लिये पुराने कपडे दान करेँ ।
दिसम्बर और जनवरी की कडकडाती ठँड मे जँहा हम लोग अपने घरोँ मे गरम कपडो को पहने हुये रजाई और कम्बलोँ मे रहकर ठँड से बचते है, वँही हमारे बीच मे कुछ येसे भी लोग हैँ जो खुले आसमान के निचे रात गुजारने को मजबूर होते है परिणाम स्वरूप हर साल उत्तर भारत मे सैकडोँ लोगोँ को कडाके की ठँड के कारण अपनी जान गवानी पडती है जिनमे छोटे-छोटे बच्चोँ और महिलाओँ की सँख्या अधिक होती है ।
मनुष्य की तीन आधारभूत आवश्यकाताएँ होती हैं - रोटी, कपड़ा और मकान। रोटी और मकान अगर हम नही दे सकते तो घर मे पुराने या छोटे पड चुके कपडोँ को जरुरतमँदो के लिए दान करेँ ।
यदि आपके घर मे पुराने या छोटे पड चुके गर्म कपडेँ,कँबल या रजाई है जो कि प्रयोग मे नही है तो आप “समूण” सदस्योँ के लिखे नम्बरोँ पर व्ट्स अप या ईमेल के माध्यम से अपना नाम और पता भेज देँ हमारी टीम आपको सम्पर्क करेगी और आपसे यह सहयोग एकत्रित करके जरुरतमदोँ तक पहुँचायेगी ।
यदि आप नए कपडोँ व कम्बलोँ के लिये आर्थिक सहयोग करना चाहतेँ है तो आपका स्वागत है ।
धन्यवाद ।
"टीम समूण"
Saturday, 3 September 2016
समूण परिवार द्वारा 1000 वृक्षोँ का सफलतापुर्वक वृक्षारोपण
समूण परिवार के सदस्यों एवं गाँव वासियो के सहयोग से समूण फाउण्डेशन ने 25 जुलाई से 31 जुलाई, 2016 तक 1000 वृक्ष लगाने के लक्ष्य को पूर्ण किया है । जिनमे जामुन , शहतूत, अनार, आम, बांस और गुर्याल इत्यादि प्रजातियों के पेड़ थे ।
राजकीय इंटर कॉलेज मुन्नाखाल, प्रार्थमिक विद्यालय सौड़, गाँव अंवाणी और सौड़ गाँव में गाँव वासियो की निजी भूमि पर यह वृक्षारोपण किया गया साथ ही ऋशिकेश मे लोगो के पँसद के अनुसार नर्सरी से वृक्ष खरिदे गये और उनके घरो के समीप लगाया गये ।
इस अभियान में समूण परिवार को सहयोग करने के लिए राजकीय इंटर कॉलेज मुनाखाल के अध्यापकों एवं विद्यार्थियों, प्रार्थमिक विद्यालय सौड़ की अध्यापिका एंम शिष्य, सौड़ गाँव के गाँव वासियों एँव शीशम झाड़ी ऋषिकेश के निवासियों का तहदिल से हार्दिक धन्यवाद ।
"टीम समूण"
Tuesday, 5 July 2016
वृक्षारोपण
यों तो उत्तराखंड के जंगलो में हर साल गर्मियों
में आग लगती है परन्तु इस साल 2016 की
गर्मियों में फरवरी से अप्रैल तक 88 दिनों से जादा समय तक लगी भीषण आग से 3 हजार
एकड के लगभग जमीन जलाकर खाख हो गयी और लगभग 6 से अधिक बेकसूर
लोगों को अपनी जान गवानी पडी |
अभी “उत्तराखंड”
इस भीषण आग के दुख: से उबर भी नहीं पाया था कि फिर से आसमानी बारिश ने पिथोरागढ़ और चमोली वही
किया जिसका हम सबको डर था, जिसमे की अभी तक 30 से अधिक लोगों को की मौत हो चुकी है |
आखिर क्यों ???????
यों तो हर साल उत्तराखंड
में बहुत मुसलाधार बारिश होती है लेकिन पिछले २-४ सालों से बरसात के समय कुछ न कुछ
अप्रिय घटना सुनने को मिल रही है | हम सभी को इस विषय पर आत्मचिंतन करते हुए प्राकृतिक
आपदाओं के मूल कारण व इन कारणों के समाधानों पर कार्य करने की जरुरत है | मैंने जब
इस विषय पर गंभीरता से सोचा तो उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं के निम्नलिखित मूल
कारणों को पाया :-
कारण:-







आदि बहुत से कारण है जिससे हर मानसून में जीवन, संपत्ति, कृषि-भूमि, सड़कों,
आदि की हानि होती है जिसमे से भूस्कलन सबसे मुख्या है | चट्टानों, मिट्टी और वनस्पतियों का किसी ढलान पर नीचे की ओर खिसकना ही भूस्खलन है।
भूस्खलन, एक चट्टान के छोटे से टुकड़े से लेकर, मलबे व पानी के बहुत बड़े बहाव के
रूप में हो होता है जिसमें भारी मात्रा में मिट्टी और पानी कई किलोमीटर तक अपने
रास्ते में जो भी मिलाता है उसे समेटते हुए ले जाता है |
उत्तराखंड की प्राकृतिक सौन्दर्य ही हमारी धरोहर
है लेकिन दिन प्रतिदिन ये हमारी खुबसूरत सी धरोहर नष्ट होती जा रही है | अगर प्रकृति के साथ इसी तरह से हस्तक्षेप जारी रहा तो भविष्य में
भूस्खलन अत्यधिक बढ़ सकते हैं|
उपाय:-
इसके रोकने का एक ही उपाय है “वृक्षारोपण”
हमें अधिक से अधिक संख्या में अपने
निजी और सरकारी जमीन पर वृक्ष लगाने चाहिए जिससे प्रकृति का संतुलन बना रहे और येसी
प्राकृतिक आपदाओं को रोका जाय | वन भूस्कलन को रकते है और हमें शुद्ध ऑक्सीजन देते
है, वनों की हरियाली के बिना मानव जीवन की कल्पना करना व्यर्थ है | वन देश और
राज्य की प्रगति में हमें आर्थिक सहयोग देते हैं |
प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि
वह अपने जीवन में एक वृक्ष अवश्य लगाए । आज हम स्वार्थ के लिए पेड़ तो काटते है
लेकिन लेकिन पेड़ लगाना भूल जाते है जिससे यह समस्या आज इतनी उग्र होती चली जा रही
है । आओ अपने जीवन में एक पौधा लगाए और पेड़ बनने तक उसकी देखभाल करे |
“समूण” परिवार के सदस्यों व गांववासियों के सहयोग से हमने रविवार दिनांक 31
जुलाई को ग्राम सौड और ग्राम कुर्न पट्टी भरपूर, टिहरी गढ़वाल में वृक्षारोपण कार्यक्रम
के तहत 1100 वृक्ष लगाने का लक्ष्य रखा है, साथ ही गांव वासियो को वनों के महत्व व वनों
को बचाए रखने हेतु सरकार की योजनाओं के बारे में भी जागरुक किया जाएगा |
आप सभी से सहयोग की अपील की जाती है
यदि आप फिजिकल रूप से हमें इस प्रोजेक्ट में सहयोग नहीं कर सकते तो एक पेड़ के लिए 250/- रुपये का धनराशी दान
देकर अपने नाम से एक वृक्ष लगवा सकते है | आपके नाम से उस वृक्ष को लगाया जाएगा और
उसकी फोटो आपके साथ साझा किया जाएगा |
धन्यवाद !
“टीम समूण”
Monday, 27 June 2016
Medical Help for Kulanand Bahuguna ji
समूण टीम के सदस्य अँकित बहुगुणा जी की शादी मे दुर्घटनावश कुलानँद बहुग़ुणा जी के उपर उबलता हुआ चाय से भरा पटिला उलट गया था । आनन् फानन में उसे नजदीकी अस्पताल ले जाया गया ततपशचात उनको देहरादून मे इन्द्रेश हॉस्पिटल के आई सी यू में बहुत बुरी हालत में भर्ती कराया गया । कुलानन्द बहुग़ुणा जी बहुत ही गरिब परिवार से है और बडी मुसकिल से अपने परिवार का आजिविका चलाते है जिस कारण से वह हास्पिटक के खर्चे उठाने मे समर्थ नही थे ।
कुलानन्द बहुगुणा जी गाँव - थाती, तहसिल - घनसाली, जिला टिहरी गढवाल के रहने वाले है जो कि समूण टीम के सदस्य विवेक रतुडी जी का भी गाँव है और उन्ही के पहल पर समूण टीम कुलानन्द बहुगुणा जी के ईलाज के लिये एक छोटी सी आर्थिक सहायता प्रदान करने मे सक्षम रही ।
कुलानन्द बहुगुणा जी गाँव - थाती, तहसिल - घनसाली, जिला टिहरी गढवाल के रहने वाले है जो कि समूण टीम के सदस्य विवेक रतुडी जी का भी गाँव है और उन्ही के पहल पर समूण टीम कुलानन्द बहुगुणा जी के ईलाज के लिये एक छोटी सी आर्थिक सहायता प्रदान करने मे सक्षम रही ।
समूण टीम के सदस्योँ ने मानवता के नाते कुलानन्द जी के ईलाज के लिये रुपये 13250/- रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की ।
धन्यवाद !
धन्यवाद !
"टीम समूण"
Sunday, 12 June 2016
Help of pahadi bhula send back to India
शारजँहा मे इक रेस्टोरेँट मे अपना एक पहाडी भुला पिछले देढ साल से कार्यरत था । इस रेस्टोरेँट के मालिक द्वारा उसका पिछले देढ साल से शोषण हो रहा था । उसे डेढ साल मे अभी तक एक भी छुट्टी नही मिली और 14-16 घँटो तक काम करने के लिये मजबूर किया जा रहा था । भारत मे उससे यह वादा किया गया कि मासिक 20 हजार रुपये सेलरी तथा अतिरिक्त भत्ता दिया जायेगा लेकिन जब यँहा पर आया तो उसे मात्र 800/- दिर्हाम सेलरी दी जा रही थी जो कि कभी भी समय पर नही मिलती थी । उसने भारत मे बीजा के लिये कर्ज निकाल कर 35000/- रुपये दिये थे तथा यँहा पर भी प्रत्येक महिने सेलरी से बीजा के पैसे काटे जा रहे थे ।
जब उसने रेस्टोरेँट के मालिक को निवेदन किया कि मुझे वापस भारत भेज दो क्योकिँ मै भारत मे इससे अच्छी नौकरी व अच्छी सेलरी ले रहा था तो इस रेस्टोरेँट के मालिक ने उसका बीजा कैँसल करने से मना कर दिया और कहा कि आपका पासपोर्ट मेरे पास है आपको दो साल पुरे काम करना पडेगा । काफी रिक्वेस्ट करने के बाद भी जब उसने बीजा कैसँल करने व पासपोर्ट न देने को कहा तो हमने मिनिस्ट्री औफ लेबर मे 10 मार्च 2016 को केस फाईल किया जिसकी पहली सुनवाई 3 अप्रैल 2016 को आयी लेकिन पहली सुनवायी मे रेस्टोरेँट का मालिक नही आया फिर हमे दुसरी सुनवायी 5 अप्रैल की मिली, दुसरी सुनवायी मे हरप्रीत सिँह (औनर औफ रेस्टोरेँट) आया लेकिन मिनिस्ट्री के आदेशा दिया कि जल्द से जल्द इसका बीजा कैसल कर दिया जाय । लेकिन हरप्रीत वँहा से हाँ कह कर चला गया और बीजा कैसल नही किया, फिर तीसरी सुनवायी 7 अप्रैल और अगली 10 अप्रैल को रेस्टोरेँट का मालिक सुनवाई मे नही आया और फिर मिनिस्ट्री ने बिना रिजल्ट ये केस बंद कर दिया ।
जब हमे मिनिस्ट्री से कोई अच्छे परिणाम नही मिले तो फिर हमने ईंडियन कौसुलेट, दुबई मे औनर के खिलाफ सिकायत दर्ज किया ईंडियन कौसुँलेट ने भी अपने स्तर पर कोशिस की लेकिन औनर ने पास्पोर्ट नही दिया । फिर जाके हमने 3-4 पुलिस स्टेशनो के चक्कर काटे लेकिन कहीँ से भी कोई अच्छे परिणाम नही मिले । फिर दोबारा हमने मिनिस्ट्री औफ लेबर मे 18 अप्रैल को दुसरी कम्पलेट की और जिसकी सुनवायी फिर से 1 महिने बाद की आयी साथ ही साथ रेस्टोरेँट के स्पोँसर से भी बात करते रहे लेकिन अभी तक कुछ सकारात्मक परिणाम देखने के नही मिल रहेँ है । अन्तत: हमने अपनी कम्प्लेटँ 25 अप्रैल को वापस ले ली ।
मिनिस्ट्री और ईण्डियन कौसुलेट से काफी निवेदन के बाद ईंडियन कौसुलेट ने 24 अप्रैल को हरप्रीत को फिर से एक ईमेल भेजा जिसमे उससे पासपोर्ट देने को कहा गया फिर 29 अप्रैल को रेस्टोरेट के मालिक ने बीजा कैसल किया लेकिन पास्पोर्ट अभी भी नही दे रहा है । हरप्रीत ने 10 मार्च को ही इस पहाडी भुला को कमरे से निकाल दिया था और पिछले 3 महिने से भुखा प्यासा ये भुला सडको पर रह कर अपना दिन गुजार रहा था ।
इस रेस्टोरेँट के मालिक ने पिछले 3 महिने की भी सेलरी नही दी । हमने भी पिछले 3-4 महिने से हरप्रीत के सम्पर्क किया व अपने स्तर पर काफी रिक्वेस्ट और लडाई की लेकिन उससे पासपोर्ट लेने मे असमर्थ थे । अब फाईनली वह पासपोर्ट देने के लिये तैयार हो गया था लेकिन कहता है कि पहले मुझे टिकिट खरिद के दो और मै पासपोर्ट ऐअरपोर्ट पे दुँग़ा ।
हमने ईंडियन कौसुलेट से टिकिट के लिये निवेदन किया था और वँहा से टिकिट तो मिल तो जाता लेकिन न जाने कब तक मिलता ये मालुम नही था । ये भूला प्रत्येक दिन बहुत ही कष्ट मे ब्यतित कर रहा है और किसी भी तरह जल्द से जल्द वापस अपना गाँव जाना चाहता है ।
अंतत: हमने ईस भूला के लिये टिकिट खरिदी और सकुसल वापस भारत भेजा ।
अत: ये सन्देश है उन सभी पहाडी भाईयोँ को जो विदेश जाने की चाह मे कभी कभी बहुत गलत जगह फँस जाते है । इसलिये हमेशा पुरी जानकारी के साथ सभी दस्तावेजो और नौकरी समबँधी कौंट्रेक्ट की जाँच पडताल करने के बाद ही हस्ताक्षर करेँ । हम सिर्फ विदेश जाने की खुशी मे सेलरी नही देखते और फिर यँहा आ कर पछताते है इसलिये जो भी फैसला ले सोच समझ के लिये और किसी से पहले इस विषय मे जानकारी ले ।
यदि आपको किसी भी देश के बारे मे जानकारी चाहिये तो आप हमे ईमेल के माध्यम से जानकारी ले सकते है हमारी कोशिस रहेगी कि उस देश व उस कम्पनी के बारे मे जानकारी प्राप्त करा सकेँ ।
धन्यवाद !टीम समूण
3 मई, 2016
Help of Rajamani send back to India
हमे आपको यह बताते हुये हर्ष ही नही अपीतु खुशी हो रही है कि "पोन्मारी राजामणी" एक दक्षिण भारतीय मजदुर शारजँहा मे एक रेस्टोरेंट मे मा कार्यरत था, वापस सकुसल भारत पहुँच गया।
रेस्टोँरेट का मालिक इस गरिब मजदुर से बिना सेलरी का काम करवा रहा था जब राजमणी तनख्वा के लिये पुछता तो मालिक उसे मारने की धमकी देता साथ ही भारत मे इस बेचारे मजदुर के घर मे फोन करके उसके बच्चे एँव पत्नि को धमकी देता कि मै आपके पति को ये कर दुंगा ओ कर दुंगा । राजामणी वापस भारत जाना चाहता था लेकिन रेस्टोरेँट का मालिक उसे जाने नही देता । राजामणी बहुत डरा हुवा था बस किसी भी तरह से अपने वापस भारत जाने का ईंतजार कर रहा था ।
किसी से जानकारी लेते हुये यह मजदुर जब हमारे पास आया तो सबसे पहले हमने शारजँहा मे ईंडियन एशोसियसन से हेल्प की गुहार लगायी वँहा से भी जब कुछ सहयोग नही मिला तो हमने मिनिस्ट्री औफ लेबर मे कम्प्लेट दर्ज किया उसके बात और्नर को मिनिस्ट्री मे बुलाया गया और राजामणी को मिनिस्ट्री के आदेश पर विजा निरस्त करने के बाद वापस भारत भेजने को कहा गया ।
फिर भी रेस्टोरेँट के मालिक ने पासपोर्ट नही दिया फिर जा के हमने ईमिग्रेसन डिपार्टमेँट मे कोम्प्लैंट दर्ज की और फिर जा के 1 महिने बाद औनर ने उसका टिकट समेत पासपोर्ट वापस दिया ।
देर सही पर हमे खुशी है कि हमारी एक कोशिस से हम राजामणी को भारत भेजने मे सफल हुय । येसे ही न जाने कितने राजामणी है जो की मजबूरी बस मालिक की यातनाये सहते हुये यँहा पर अपना जीवन यापन कर रहे है ।
धन्यवाद !टीम समूण
28 दिसम्बर, 2015
Thursday, 9 June 2016
Wednesday, 9 March 2016
स्वच्छ भारत की पवित्र गँगा
आख़िरकार समूण संस्था का "स्वच्छ भारत की पवित्र गंगा" कार्यक्रम सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ| टीम समूण उन सभी लोगो का तहेदिल से धन्यवाद करती है जिन्होंने इस मुहीम को दिल से निभाया और साथ दिया उन सभी लोगो के बिना ये काम मुमकिन नही था ।
जरूर हमारी मुहीम इतनी बड़ी नही थी कि हमने गँगा के किनारे के घाटोँ को स्वच्छ कर दिया हो लेकिन जितना भी कर पाये सच्चे दिल सेवा भाव से किया और हमारा मकसद यही था की हम लोगोँ को गँगा को स्वच्छ रखने के प्रति जागरूक करेँ ताकि आगे से लोग गँगा माँ को प्रदुषित होने से बचायेँ । हम एक दिन साफ सफाई करने से उतना कुछ नही कर पायेँगे जितना की वँहा की स्थानीय जनता जागरुक हो कर कर पायेगी । जब तक हम जन मानस को इस स्वच्छता अभियान से नही जोडेँगे तब तक सफल नही हो पायेँगे और हमारे इस कार्यक्रम के द्वारा हम अपने इस मकसद को थोडा बहुत निभाने मेँ सफल रहे। आगे भी हमारा इस मुहीम को और बड़े लेवल पर लेकर जाने के लिए प्रयास जरी रहेगा क्योकि स्वच्छता अभियान की सफलता जनभागेदारी पर ही निर्भर है और समोण संस्था समाजसेवा और जनहित से जुड़े कामो को करने के लिए समर्पित है
आगे भी हम इस तरह के कामो को जारी रखेंगे ।
जरूर हमारी मुहीम इतनी बड़ी नही थी कि हमने गँगा के किनारे के घाटोँ को स्वच्छ कर दिया हो लेकिन जितना भी कर पाये सच्चे दिल सेवा भाव से किया और हमारा मकसद यही था की हम लोगोँ को गँगा को स्वच्छ रखने के प्रति जागरूक करेँ ताकि आगे से लोग गँगा माँ को प्रदुषित होने से बचायेँ । हम एक दिन साफ सफाई करने से उतना कुछ नही कर पायेँगे जितना की वँहा की स्थानीय जनता जागरुक हो कर कर पायेगी । जब तक हम जन मानस को इस स्वच्छता अभियान से नही जोडेँगे तब तक सफल नही हो पायेँगे और हमारे इस कार्यक्रम के द्वारा हम अपने इस मकसद को थोडा बहुत निभाने मेँ सफल रहे। आगे भी हमारा इस मुहीम को और बड़े लेवल पर लेकर जाने के लिए प्रयास जरी रहेगा क्योकि स्वच्छता अभियान की सफलता जनभागेदारी पर ही निर्भर है और समोण संस्था समाजसेवा और जनहित से जुड़े कामो को करने के लिए समर्पित है
आगे भी हम इस तरह के कामो को जारी रखेंगे ।
धन्यवाद ।
टीम समूण
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