Sunday, 13 August 2017

71वें स्वतंत्रता दिवस की अग्रिम सुभकामनायेँ ।


       15 अगस्त 1947, भारतीय इतिहास का सर्वाधिक भाग्यशाली और महत्वपू्र्णं दिन था, क्योंकि वर्षों की गुलामी के बाद ब्रिटिश शासन से इसी दिन भारत को आजादी मिली थी । हालाँकि अंग्रेजों से आजादी पाना भारत के लिये आसान नहीं था; लेकिन कई महान लोगों और स्वतंत्रता सेनानियों ने इसे सच कर दिखाया उन सभी स्वतंत्रता सेनानियोँ को श्रधा सुमन अर्पित ।

लेकिन क्या अब भी हमें पूरी आजादी मिली है? यह प्रश्न का विषय है ! 

देश में बढ़ते भ्रष्टाचार, स्वार्थ, महँगाई, जातिवाद, धर्मवाद, बेरोजगारी, भूखमरी, अस्वास्थ्य की स्थित और गरीबी की वजह से अनेक लोगों के लिये 15 अगस्त की आजादी एक भूली बिसरी घटना हो गयी है । देश मे धनपतियों की संख्या बढ़ने के साथ गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की संख्या मेँ भी बढोतरी हो रही है, गरिब दिन प्रतिदिन गरिब होता जा रहा है अमीर दिन प्रतिदिन अमीर होता जा रहा है ।

सरकार अपने स्तर पर गरीबी उन्मूलन के लिए कार्य रही है लेकिन एक नागरिक और मानव के नाते हमारा भी कर्तब्य बनता है कि यदि हम सक्षम हैँ तो हम भी अपने सभी भाई बहनोँ को साथ ले कर चलेँ, एक दुसरे के दुख सुख मे काम आयेँ और जितना हो सके गरिबोँ और जरुरतमँदो के सहयोग हेतु आगे आयेँ ।

“समूण फाउँडेशन" इस स्वत्रंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर 10 विध्यालयोँ और 12 गाँवो से चयनित 37 आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी छात्र-छात्राओं को रुपये 3000/- प्रति विध्यार्थी के अनुसार 1,11,000 (एक लाख ग्यारह हजार रुपये) की छात्रवृत्ति प्रदान करने जा रही है । कुछ और बच्चोँ का भी चयन हुआ है और कोशिस है कि अधिक से अधिक मेधावी विध्यार्थियोँ को लाभ मिले ।

इस छात्रविर्ति हेतु सहयोग करने निम्न्लिखित दान दाताओ और उन सभी सदस्योँ, शिक्षको और समाज सेवियोँ का तहदिल से धन्यवाद जिनके सहयोग से हम यह कार्यक्रम करने जा रहेँ है ।

1. कमलकांत सिँह – हरिद्वार
2. गौरिशा पुत्रि श्री कमलकाँत सिँह हरिद्वार
3. एम. के टोलिया & ज्योती टोलिया जी – हरिद्वार
4. रविंद्र नेगी – हरिद्वार
5. सुनिता बुडाकोटी – स्वीडन
6. नवीन थपलियाल – दुबई
7. आशिष मनराल – कनाडा
8. रामजय सिँह रावत – नाईजिरिया
9. सँजय नैनवाल – शारजँहा
10. विनोद सिँह जेठुडी – दुबई

धन्यवाद
टीम समूण

धन्यवाद 
टीम समूण 

Saturday, 5 August 2017

Helping Hand for Blind Couple Sant Ram & Anandi Devi


उत्तराखँड के अल्मोडा जिले के धौलाछीना गाँव में रहते है लोकगायक संत राम जी और उनकी धरम पत्नी आनंदी देवी , दोनों नेत्र हीन है और वर्तमान मे बहुत ही मुसकिल से जीवन यापन कर रहेँ है । इन दुखीयारो की कोई संतान भी नही है जो इनकी देखभाल कर सके । 
शोसल मिडिया पर इस दम्पति का विडियोँ देखने के बाद समूण परिवार ने अपना सदस्य भेजा और हाल जाना । सँत रामा जी कहते है कि उन्हे पैसे की कोई जरुरत नही है बस भर पेट खाना मिल जाय रहने के लिये घर और नजदिक मे शौचालय बस इतना काफी है ।
हमने नजदीक के होटल मालिक श्री अर्जुन सिँह मेहरा जी से बात की तो फाइनल 200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भर पेट खाना खिलाने के लिये तैयार हो गये । अर्जुन सिँह मेहरा जी उन्हे खाना बना कर हर दिन घर तक पहुँचायेगेँ और मासिक 6000 रुपये समूण परिवार होटल मालिक अर्जुन सिँह मेहरा जी को देगा जो कि साल के 72000 रुपये होतेँ है और 72 हजार कोई छोटी धनराशी नही यह सिर्फ आप जैसे दान दाताओँ के सहयोग से सम्भव हो सकता है और जितनी भी धनराशी जमा होगी उतने साल तक हम उनके लिए खाने की ब्यवस्था कर सकते है । साथ ही जँहा पर यह दम्पति रहते है उस घर की मरमत और एक शौचालय के निर्मान के लिय समूण परिवार कोशिस कर रहा है यदि आप सभी दयालु हर्दय वाले लोगोँ का सहयोग मिलेगा क्योँकि एक आदमी के करने से कुछ नही होता ।
बहुत सारे अखबारोँ मे खबर दी, सरकार के दरवाजे खटखटाये लेकिन कहीँ से भी आशा की किरण दिखायी नही दी । बुँद बुँद से घडा भरता है । आओ हम सब मिलकर लोकगायक सँतराम और उनकी धर्मपत्नि के लिय सहयोग के हाथ बढायेँ ।
यदि आप इस दम्पत्ति के लिये सहयोग करना चाहते है तो निम्नलिखित समूण खाते मे अपना सहयोग भेज सकते हो ।
Bank Details of SAMOON FOUNDATION:-
BANK NAME AXIS BANK
A/C NUMBER 914010040541847
A/C NAME SAMOON FOUNDATION
BRANCH CITY CENTRE RISHIKESH
IFSC CODE UTIB0000156
SWIFT CODE AXISINBB093
MICR CODE 249211102
हम आपको विश्वास दिलाते है कि जितनी भी धनराशी हमे मिलेगी उसका प्रयोग इस दम्पत्ति के अच्छे जीवन स्तर हेतु प्रयोग किया जायेगा और आपको पुरे पैसोँ का ब्योरा दिया जायेगा । समूण एक रजिस्टर सँस्था है जो कि मानवता की सेवा हेतु कार्य कर रही है । जब से समूण सँस्था की स्थापना हुई है तब से अब तक के एक एक रुपये का हिसाब कोई भी ब्यक्ति किसी भी वक्त पुछ सकता है ।
धन्यवाद !
टीम समूण

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DATE :- 10/08/2017
समूण परिवार ने लोकगायक द्रष्टीहीन दम्पति सँतराम जी और उनकी धर्मपत्नि आनंदी देवी के पसँद अनुसार चंदन जी होटल वाले से एक अनुबंध बनाया है जिसके तहत समूण परिवार चँदन जी को प्रत्येक महिने के अंत मे रुपये 3600/- और साल के रुपये 36000/- का भुगतान करेगी और चँदन जी द्रष्टीहीन दम्पति को शाम के समय रोटी शब्जी, दिन मे सिर्फ दाल क्योंकि चावल आनंदी देवी जी घर मे बना लेती है और सुबह मे रोटी प्रदान करेँगे । 
समूण सदस्य गोपाल अधिकारी जी का सँतराम और आनंदी देवी के साथ मे हुयी बातचीत का विडियोँ आप सभी के साथ साझा कर रहेँ है । जल्द ही घर की मरमत और शौचालय के निर्माण का कार्य शुरु किया जायेगा ।
मानवता की सेवा हेतु समर्पित "समूण परिवार" से जुडेँ और पुण्य का भागीदार बनेँ क्योंकि मानवता की सेवा ही सबसे बडा धर्म है ।

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DATE :- 17/09/2017
लोकगायक संतराम जी के घर के पुनरुद्धार, बाथरूम और शौचालय के निर्माण का कार्य श्री दरबान सिँह रावत (अध्यक्ष - ब्यापार मंडल धौलछीना) के निर्देशन में बनकर तैयार हो गया है ।
सभी दान दाताओँ का हर्दय से अभार ।
"स्वच्छ भारत सुंदर भारत"





Monday, 31 July 2017

समूण परिवार द्वारा 1000 पौधोँ का सफलतापुर्वक वृक्षारोपण

समूण परिवार के सदस्य वृक्षारोपण को अपनी सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी और पेडोँ से अपना रिश्ता कायम करते हुए “पेडोँ से है रिश्ता हमारा” व्रक्षारोपण कार्यक्रम के तहत हर वर्ष 1000 पौधोँ के वृर्क्षारोपण का लक्ष्य रखतेँ है और हर हाल मे इसे पुर्ण करते है ।
“समूण” परिवार के सदस्योँ व गांववासियों के सहयोग से पिछले वर्ष भी हमने 1000 पौधोँ का सफलतापुर्ण वृर्क्षारोपण किया था और इस वर्ष भी कल दिनाँक 30/07/2017 को गाँव सौड और साकनी मे 600 पौधोँ का सफलतापुर्वक वृक्षारोपण किया और आज दिनाँक 31/07/2017 को ओंकारानँद सरस्वती राजकीय महा विध्यालय, देवप्रयाग, राजकीय इटरमिडियट कालेज - मुन्नाखाल, प्रार्थमिक विध्यालय - सौड और प्रार्थमिक विध्यालय साकनी मे कुल बाकी के 400 पौधोँ का वृक्षारोपण किया गया । जिनमे आम, अनार, अमरुद, तेज पात, शहतूत, जामून, बाँस, गुरियाळ, आमला एत्यादी प्रजातियोँ के पौधे थे । साथ ही गांव वासियो व छात्र छात्राओँ को पेडोँ के महत्व व पेडोँ को बचाए रखने हेतु जागरुकता कार्यक्रम भी किये गये ।
इस कार्य मे सहयोग करने वाले ग्रामिणो तथा विध्यालयोँ को समूण फाउँडेशन की ओर से ट्राफी देकर सम्मानित किया गया साथ ही इस वर्ष के लगाये गये पौधोँ का समूण टीम अगले वर्ष निरिक्षण करेगी और जीवित पाये गये पौधोँ की देख रेख करने वालोँ सम्मानित करेगी ।
समूण टीम के निम्नलिखित सदस्योँ ने इस इस वृक्षारोपण कार्यक्रम को सफल बनाने मे अहम सहयोग प्रदान किया ।
कमल कांत सिँह, कमल जोशी, मनोज रावत, अर्जुन रावत, नरेंद्र मैठाणी, प्रवीन चौहान, जितेंद्र जरधारी नेगी, अरविंद जियाल, रविंद्र नेगी, सुमन राणा, यशपाल सिँह जेठुडी, नित्यानँद डोभाल, जय सिँह जेठुडी और विध्यार्थी पालिवाल
सभी गाँववासियोँ, विध्यालय के प्रधानाचार्योँ शिक्षकोँ, विध्यार्थियोँ, और समूण टीम के सदस्योँ का इस अभियान मे सहयोग हेतु कोटी कोटी धन्यवाद !



Please click here to see all the project pics:- https://www.facebook.com/media/set/?set=a.1119192894882422.1073741836.116774188457636&type=1&l=b6ff388f8f

 धन्यवाद 
टीम समूण

Saturday, 15 July 2017

समूण परिवार द्वारा पर्यावरण सँरक्षण हेतु "पेडोँ से है रिश्ता हमारा” कार्यक्रम ओन 30/07/2017



   पेड का हमारे जीवन में भोजन और पानी की तरह महत्व हैं, पेड़ के बिना मानव जीवन की कल्पना करना व्यर्थ है | हमें स्वस्थ और समृद्ध जीवन देने में पेड़ो का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है । हमें अधिक से अधिक संख्या में अपने निजी और सरकारी जमीन पर वृक्ष लगाने चाहिए जिससे प्रकृति का संतुलन बना रहे और प्राकृतिक आपदाओं को रोका जाय | वन, भूस्खलन को रोकते है और हमें शुद्ध ऑक्सीजन देते है । वन देश और राज्य की प्रगति में हमें आर्थिक सहयोग देते हैं | मानव सृष्टि का सर्वश्रेष्ट प्राणी है इसलिए वृक्षारोपण मानव समाज का दायित्व है |
   प्राचीन काल से ही मानव और प्रकृति का घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है । भोजन, वस्त्र और आवास की समस्याओं का समाधान भी इन्हीं वनों से हुआ है । 
  बचपन में लकड़ी के पालने में झूलना, बुढ़ापे में उसका सहारा लेकर चलना और जीवन लीला की समाप्ति पर इन्हीं लकड़ियों पर सोना मनुष्य की अन्तिम गति है । इन वृक्षों से हमें शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है । घने वनों की हरियाली देखकर मन प्रफुल्लित हो उठता है ।
   वृक्ष स्वयं धूप में रहकर हमें छाया देते हैं । जब तक हरे-भरे रहते हैं तब तक हमें फल, सब्जियां देते हैं और सूखने पर ईंधन के लिए लकड़ी देते हैं । इन्हीं वृक्षों की हरी पत्तियों और फलों को खाकर गाय, भैंस, बकरी आदि जानवर दूध देते हैं जिसमें हमें प्रोटीन मिलता है ।
अर्ताथ: कह सकते है कि पेड नही तो जीवन नही जो आदि काल से पेडोँ के साथ हमारा रिश्ता चला आया है हमे वह रिश्ता निरंतर कायम रखना होगा, इसलिये इस कार्यक्रम का नाम “पेडोँ से है रिश्ता हमारा” रखा गया है ।
   प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि वह अपने जीवन में एक वृक्ष अवश्य लगाए । आज हम स्वार्थ के लिए पेड़ तो काटते है लेकिन लेकिन पेड़ लगाना भूल जाते है जिससे ग्लोबल वार्मिग की समस्या आज इतनी उग्र होती चली जा रही है । आओ अपने जीवन में एक पौधा लगाए और पेड़ बनने तक उसकी देखभाल करे तभी सच्चे अर्थो मेँ हम प्रक्रति के साथ अपना रिश्ता कायम कर सकते है ।
  समूण परिवार के सदस्य विर्क्षारोपण को अपनी जिम्मेदारी और पेडोँ से अपना रिश्ता कायम करते हुए “पेडोँ से है रिश्ता हमारा” कार्यक्रम के तहत 1100 पौधोँ के विर्क्षारोपण का लक्ष्य रखतेँ है और हर हाल मे इसे पुर्ण करते है । “समूण” परिवार व गांववासियों के सहयोग से इस वर्ष भी हम इस महीने (जुलाई) में 1100 पौधोँ का विर्क्षारोपण का लक्ष्य रखा है, साथ ही गांव वासियो को पेडोँ के महत्व व पेडोँ को बचाए रखने हेतु जागरुकता कार्यक्रम भी किये जायेंगे | 
  आप सभी से सहयोग की अपील की जाती है यदि आप फिजिकल रूप से हमें इस कार्यक्रम मे सहयोग नहीं कर सकते तो अपने नाम से या परिवार के किसी ब्यक्ति के नाम से एक पेड़ के लिए 250/- रुपये की धनराशी दान देकर एक पौधा लगवा सकते है | “पेँडो से है रिश्ता हमारा” कार्यक्रम के तहत आपके नाम से उस वृक्ष को लगाया जाएगा और उसकी फोटो आपके साथ साझा किया जाएगा ताकि आपका और उस पेड के बीच मे एक रिश्ता कायम हो सके ।

Contribution can be transferred to Samoon account as below:

A/C NAME ; SAMOON FOUNDATION
A/C NO. : 914010040541847
BRANCH : AXIS BANK, CITY CENTRE, RISHIKESH
IFSC CODE : UTIB0000156
SWIFT CODE : AXISINBB093
MICR CODE : 249211102

धन्यवाद टीम समूण

"पेडोँ से है रिश्ता हमारा" कर्यक्रम के तहत 1100 पौधो का विर्क्षारोपण


यों तो हर साल उत्तराखंड में बहुत मुसलाधार बारिश होती है लेकिन पिछले २-४ सालों से बरसात के समय कुछ न कुछ अप्रिय घटना सुनने को मिल रही है | हम सभी को इस विषय पर आत्मचिंतन करते हुए प्राकृतिक आपदाओं के मूल कारण व इन कारणों के समाधानों पर कार्य करने की जरुरत है | मैंने जब इस विषय पर गंभीरता से सोचा तो उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं के निम्नलिखित मूल कारणों को पाया :-
कारण:-
*      क्षेत्र में विकास के नाम पर जंगलो के वृक्षों का अत्यधिक कटान |
*      विकास के नाम पर बनी विजली के परियोजनाओं से पहाडो का कमजोर होना |
*      लकड़ी तस्करों का जंगलो से अच्छे अच्छे प्रजातियों के वृक्षों का कटान करना जो की मिट्टी तथा पत्थरो को अपने जड़ो से जकड कर रखते थे व भूस्खलन को रोकने में सहायक होते थे |
*      पहाड़ के मूल निवासियों का पलायन करना तथा बहारी लोगो का पहाड़ में बसना जो की सिर्फ पैसे कमाने के मकसद से उत्तराखंड में आते है और प्रकृति को हानी पहुचाते है |
*      बढ़ती जनसख्या से जंगलो को काट काट कर आवासीय क्षेत्र में परिवर्तित किया जा रहा है जिससे कि दिन प्रतिदिन हमारे जंगल ख़त्म होते जा रहे है |
*      सही जानकारी का अभाव, जान-माल की सुरक्षा के इस मुद्दे पर लोगों में जानकारी का अभाव |
*      गदेरे (खालो) और नदी के किनारों पर बन रहे अत्यधिक निर्माणों को रोकने हेतु सरकार का विफल प्रयास
आदि बहुत से कारण है  जिससे हर मानसून में जीवनसंपत्तिकृषि-भूमिसड़कोंआदि की हानि होती है जिसमे से भूस्कलन सबसे मुख्या है | चट्टानोंमिट्टी और वनस्‍पतियों का किसी ढलान पर नीचे की ओर खिसकना ही भूस्‍खलन है। भूस्‍खलनएक चट्टान के छोटे से टुकड़े से लेकर,मलबे व पानी  के बहुत बड़े बहाव के रूप में हो होता है जिसमें भारी मात्रा में मिट्टी और पानी कई किलोमीटर तक अपने रास्ते में जो भी मिलाता है उसे समेटते हुए ले जाता है |
उत्तराखंड की प्राकृतिक सौन्दर्य ही हमारी धरोहर है लेकिन दिन प्रतिदिन ये हमारी खुबसूरत सी धरोहर नष्ट होती जा रही है | अगर प्रकृति के साथ इसी तरह से हस्तक्षेप जारी रहा तो भविष्य में भूस्खलन अत्यधिक बढ़ सकते हैं|
उपाय:-
इसके रोकने का एक ही उपाय है “वृक्षारोपण”
धन्यवाद 
"टीम समूण"

Thursday, 6 July 2017

कुछ बेटियाँ योँ भी - गौरिशा जैसी


दुनिया मे अनेको प्रकार के लोग आपको देखने को मिलेंगे, कुछ लोग योँ भी मिलेंगे जो बहुत ही स्वार्थी होते है और जीवन मे कभी किसी को 1 रुपये तक की मदद नही करते वँही कुछ लोग गौरिशा जैसे भी है जो निर्णय कर लेते है कि जीवन मे पहली कमाई नेक कार्य से होगी । गौरिशा समूण परिवार के वरिष्ठ सदस्य श्री कमल कांत जी की बेटी है, । समूण फाउंडेशन की ओर से हमने 41 बचो की लिस्ट भेजी थी जिन बच्चोँ को पढाई हेतु आर्थिक सहायता चाहिये थी, पिताजी से जब गौरिशा को यह जानकारी मिली तो गौरिशा ने उसी वक्त पिताजी को कह दिया कि मेरी नौकरी लगते ही मै अपनी पहली तनख्वा इन बच्चो के भविष्य के लिये देना चहती हूँ और आज जब गौरिशा की पहली सेलरी मिली तो सबसे पहले गौरिशा ने 30,000 रुपये समूण के खाते मे ट्रन्स्फर किये । 
गौरिशा जैसी संस्कारीदयालु और परोपकारी बेटी सबको मिले और येसे विचार हर किसी के मन मे आए जैसी मात्र 25 साल की उम्र मे गौरिशा के मन मे आए । 
जादा नही तो मात्र 1 रुपया रोज का कठ्ठा करे और साल भर बाद 365/- रुपये बनने पर किसी जरुरत्मंद की मदद हेतु अवश्य देँ ।
दान करने से और जरुरतमँद लोगो की मदद करने से आप देखोगे कि आपके धन मे दिन दो गुनी और रात चौ गुनी बढोतरी होगी ।  

चिड़िया चोंच भरि ले गई, घट्यो न नदी को नीर ।
दान दिये धन ना घटे, कहि गये दास कबीर ॥
अर्थ: संत कबीर दास जी कहते हैं कि जिस प्रकार चिड़िया के चोंच भर पानी ले लेने से नदी के जल में कोई कमी नहीं आती है ठीक उसी प्रकार जरूरतमंद को दान देने से किसी के धन में कोई कमी नहीं आती है ।

दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार,
तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार।
अर्थ: संत कबीर दास जी कहते हैं कि मनुष्य के रूप में मिला हुआ यह जन्म एक लम्बे अवसर के बाद मिलता है अतः इसे व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए अपितु इस सुअवसर को जीव हित के लिए उपयोग करना चाहिए । यह अवसर हाथ से निकलने के पश्चात पुनः नहीं मिल सकता जिस प्रकार वृक्ष से झड़े हुए पत्ते उस पर पुनः नहीं जोड़े जा सकते ।

आईये समूण से जुडेँ और मानवता की सेवा करते हुए पुण्य का भागिदार बनेँ । 
समूण की सदस्यता शुल्क भी 1 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 365/- रुपये साल का है जो हम किसी जरूरतमंद की मदद हेतु प्रयोग करते है
धन्यवाद 
"टीम समूण"


Thursday, 22 June 2017

बीना देवी के परिवार के लिए सहयोग के हाथ

 
 उत्तराखंड के कुमांऊ मंडल के धारचूला गाँव के पान सिंह एवं उनकी पत्नी बीना देवी और दो बच्चे पीयूष और आयुष का छोटा सा परिवार हंसी खुशी जीवन यापन कर रहे थे  |
पान सिंह एक ट्रक ड्राईवर था वह ऋषिकेश से कर्णप्रयाग और नजदीक के पहाड़ी क्षेत्रो में ट्रक से सामान पहुँचाने का काम करता था, वह अपनी पत्नी व बच्चों को भी साथ ले गया और कर्णप्रयाग के पास सिमली में कराए के कमरे में रहने लगा और पास के शिशु मंदिर में बचों को स्कूल में दाखिला करवा दिया |
हंसी खुशी दिन कट रहे थे कि 2013 में आयी आपदा में जब पान सिंह ट्रक से सामान ले जा रहे थे तो बाढ़ के पानी की चपेट में गए और ट्रक समेत नदी में बह गए | अब इस परिवार पर दुखों का पहाड़ गिर गया एक ही सदस्य घर में कमाने वाला था ओ भी चल बसा, दो छोटे छोटे बच्चे और बीना देवी अकेले रहने लगे |
बीना देवी वापस धारचुला जाना चाहती थी लेकिन वहां पर किस के सहारे जाती सास ससुर पहले ही चल बसे और जेठ जी है लेकिन वह भी बेरोजगारी और गरीबी के कारण अपने ही परिवार का भरण पोषण करने में असमर्थ है | बीना देवी ने एक हिम्मत भरा काम किया कि जिस घर में रह रही थी उसी के आगे से एक चाय की दूकान खोल दी और चाय बेचना शुरू कर दिया साथ ही आर्डर पर खाना बनाना भी शुरू कर दिया और अपने परिवार का भरण पोषण करने लगी |
बीना देवी इस दूकान को बड़ा बनाकर चलाना चाहती है लेकिन आर्थिक तंगी के कारण बस चाय बेचने तक ही सिमित रह गयी है वह भी दिन के सिर्फ 15 - 20   चाय बिकते है | बचों को इंग्लिश माध्यम स्कूल से नजदीक के सरकारी स्कूल में भर्ती कर दिए है और दिन प्रतिदिन जीवन मुस्किल होता जा रहा है | वह कुछ ग्रोसरी और  कोल्ड ड्रिंक्स का सामान दुकान में रखना चाहती है लेकिन पैसे न होने के कारण दूकान को आगे नहीं बढ़ा पा रही है |
समूण फाउंडेशन के माध्यम से हम बीना देवी का यह सपना पूरा करना चाहते है | समूण परिवार के सदस्यों ने निर्णय लिया है कि हम बीना देवी की यह दूकान अच्छा सा बनाकर उसमे डेली प्रयोग में आने वाली अधिक से अधिक सामान भरेंगे ताकि वह इस दूकान के माध्यम से अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें, साथ ही आयुष और पीयूष की पढाई हेतु आर्थिक सहयोग की भी कोशिस करेंगे |

हम हर किसी को तो सहयोग नहीं कर सकते लेकिन हम सब मिलकर किसी एक को तो सहयोग कर सकते है | 

धन्यवाद 
टीम समूण 
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Date :- 03/09/2017
उत्तराखंड के कुमांऊ मंडल के धारचूला गाँव के पान सिंह जी की 2013 मेँ उत्तराखँड आपदा मे मृत्यु के पश्चात उनकी धर्म पत्नी बीना देवी और दो बच्चे पीयूष और आयुष बेसहारा हो गए थे और बहुत ही मुस्कील से जीवन यापन कर रहे थे ।
बीना देवी की हिम्मत और हौसले को सलाम कि उन्होने किसी के उपर निर्भर रहने की बजाय खुद ही कुछ करने की ठानी ।
आज कर्णप्रयाग के समीप सिमली के पास समूण फाउँडेशन के सहयोग से बनी दुकान और रेस्टोरेँट के माध्यम से बीना देवी अपने परिवार का भरण पोषण कर रही है और खुशी से जीवन ब्यतीत कर रही है ।

मानवता की सेवा हेतु समर्पित समूण परिवार के सद्स्योँ एँव इसके अनुयायीयोँ का धन्यवाद क्योँकि आप सभी के सहयोग से यह सँभव हो पाया है ।




Monday, 12 June 2017

मानवता मेरा धर्म है (Humanity is my Religion)

मैं यों ही अपने काम से निकला था कि रास्ते मे एक गन्ने की जूस की ठेली पर जूस पीने रुक गया । वह सामने से आया और जूस की ठेली के सामने खड़ा हो गया मैन पूछा जूस पिओगे ? उसने गर्दन हिला कर हां कहा मैन जूस वाले को 2 जूस के गिलास बनाने को बोला जैसे ही वह सामने आया उससे बहुत ही बुरी दुर्गंध आ रही थी, बाल लंबे, बढ़ी हुई दाढ़ी और बहुत दिनों से भूखा । 
 मैन उसे अपनी स्कूटी में बिठाया और नाई के पास ले गया एक जगह से मना होने के बाद मैं फिर दूसरे नाई के पास ले गया उसने बाल और दाड़ी काटने के लिए हां तो कर दिया लेकिन सिर्फ मशीन से काटने को कहा । मैन कहा जैसे भी काटते हो काटो, फिर मैं दुकान से नए अंडर गारमेंट एंव नहाने की साबुन और अपने घर से अपने पुराने कपड़े ले गया ।
बाल काटने के बाद जब मैं उसे नहलाने ले गया तो बदबू के कारण वहां पर लोगो ने उसे नहलाने से मना कर दिया जब मैंने गुस्सा से बोला तो उन्होंने हां कर दिया, नहलाने के लिए जब मैंने उसके कपड़े उतारे तो देखकर आश्चर्य चकित रह गया । वह मेंटली डिस्टर्ब था और कपड़ो में ही मल मूत्र करता था जो कि पैंट से पैर के रास्ते बाहर आता था। मल पूरे शरीर पर सुख चुका था जिसे पत्थरों से रगड़ रगड़ कर निकाला गया । उसे नहलाने में मैं अकेला था और बाकी के लोग बस दूर से देख रहे थे उनमें से 1 - 2 दयालु लोग भी थे जो आगे आये और मेरा साथ दिया ।
नहलाने के बाद पता चला कि उसके सर पर एक गहरी चोट लगी हुई है, फिर मैं उसे नजदीकी क्लिनिक ले गया और चोट पर मरहम पट्टी की ।
उसे खाना खिलाया और अलविदा कह कर अपने काम पर आगे निकल गया । अपने बिजी स्कीडुल से मैने बस 2 घंटे निकले और मात्र 400 - 500 रुपये का खर्च आया । मैं उसे जादा तो नही पर कुछ दिनों के लिय नरक जैसे जिंदगी से मनुष्य जैसी जिंदगी दिलाने में सफल हुआ और उसके बाद जो संतुष्टि मिली उसे लिख नही सकता ।
आपके आस पास भी ऐसे बहुत से लोग है बस अपना एक घंटा मानवता के लिए क्योंकि मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है । 

विनोद जेठुड़ी 
टीम समूण 

 





मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है

ऋषिकेश में ढालवाला के समीप तपतपाती धुप में दिन के 10 बज रहे थे | समूण टीम सदस्य Mr. Manoj Nautiyal ऑटो में बैठकर बाजार के लिए जा रहे थे कि रास्ते में उन्हें अचानक एक आदमी दिखा जिसके शरीर पर एक भी वस्त्र नहीं थे और वह बीच सड़क में लेटा हुआ था | मनोज नौटियाल जी जब 2 बजे घर वापस पहुंचे तो उन्होंने मुझे Vinod Jethuri को फ़ोन किया और इस ब्यक्ति के बारे में बताया और किसी भी तरह से उसकी सहायता करने को कहा | हमने घर से कुछ पुराने कपडे लिए और वहाँ पहुंचे जहाँ पर वह उसे सुबह के बक्त दिखे थे |
जैसे ही हम वहां पहुंचे तो देखा कि वह बीच सड़क में लेट रखा था, गाडिया किनारे से जा रही थी और कुछ लोग उसे डंडा के बल पर सड़क से किनारे कर रहे थे ताकि वह गाडी के निचे न आए | वह शारीरिक एवं मानसिक रूप से अस्वस्थ था, हम उसी वक्त उसे सड़क के निनारे ले गए एवं कपडे पहनाये और फिर पीने के लिए पानी और जूस दिया |
हमने देखा कि लोग उसे पैसे देते और चले जाते जिसे वह वहीं पर छोड़ देता और पैसे हवा से उड़ जाते । क्योंकि उसे पैसों को सँभालने तक की समझ नहीं थी, वास्तव में उसे पैसो की नहीं कपड़ो और खाने की जरुरत थी | कुछ लोगों को हमने पैसे देने के लिए मना भी किया लेकिन लोग फिर भी दिए जा रहे थे | हर कोई जरुरतमंदो की मदद करना चाहता है लेकिन यह बहुत कम लोग सोचते है कि उस ब्यक्ति को वास्तव में किस चीज की आवश्यकता है, बस पैसे देते और चले जाते है | अधिकतर लोग बिना परिश्रम के पैसो से ही अब पुन्य अर्जित करना चाहते है | सुबह से दिन के 2 बजे तक यह ब्यक्ति सड़क पर लेटा रहा पर किसी ने भी उसे एक कपड़ा पहनने की हिम्मत नहीं की | उसके हाथ बहुत जल चुके थे क्योंकि वह हाथ के बल सडक पर घिसटते हुए जा रहा था ।
हमने निर्णय किया कि इस ब्यक्ति को हर संभव मदद करेंगे, हम नजदीकी पुलिस कार्यालय (सी ओ ) ऑफिस गए और उनसे हेल्प के लिए कहा, तत्काल उन्होंने हमें 2 पुलिसकर्मी दे दिए | अब हम सबसे पहले उसे सरकारी अस्पताल में भरती करवाना चाहते थे लेकिन पता चला की मानसिक रोगियों को सरकारी हॉस्पिटल वाले भरती नहीं करते | फिर किसी ने कहा की देहरादून से आगे सिलाकुई के पास में मानसिक रोगियों के लिए हॉस्पिटल बना हुआ है आप उसे वहां ले जे जाओ लेकिन ओ लोग उसे एडमिट करेंगे की नहीं यह आपको पूछना पड़ेगा | हमने इन्टरनेट के माध्यम से ईस हॉस्पिटल के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिस की लेकिन हमें कोई भी सकारात्मक परिणाम नहीं मिले |
अब तक रात भी हो चुकी थी, हमने नजदीक के दुकानदार को रात को उसे देखने के लिय कहा और उसे खाना खिलाने के बाद अपने घर चले गए यह सोचकर कि सुबह रात खुलते हम उसे देहरादून ले जायेंगे लेकिन जब सुबह वहां पहुंचे तो वह वहां नहीं मिला |
कृपया अगर किसी को देहरादून के पास सिलाकुई में या उत्तराखंड में कहीं भी मेंटल हॉस्पिटल है के बारे में जानकारी हो और वंहा पर मानसिक रोगियों को एडमिट करने की क्या प्रक्रिया है मालूम है तो साझा करें क्योंकि शायद हम किसी और की हेल्प कर सकें |
धन्यवाद