Wednesday, 26 August 2020

मैं गाय बोल रही हूँ ......

1 July 2020

मैं गाय बोल रही हूँ ......
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वही गाय, जब आप बच्चे थे, कक्षा दो – तीन में पढ़ते थे, तब अध्यापक आपको मुझ पर दस पंक्तियों का एक निबंध लिखने के लिए कहते थे तो आप क्या लिखते थे? गाय के दो सींग होते हैं, चार पैर होते हैं। गाय एक बहुत ही उपयोगी पशु है। गाय के गोबर से खाद बनती है और उपले बना कर जला कर भोजन भी बनाया जाता है। गो मूत्र और गोबर का उपयोग पूजा में भी होता है। मरने के बाद भी गाय उपयोगी रहती है। उसकी खाल भी काम आती है, उससे जूते तथा अनेक प्रकार के सामान बनते हैं। गाय को माँ समान दर्जा दिया जाता है क्योंकि उसका दूध माँ के दूध वाले ही गुण रखता है। यही सब मेरे बारे में लिखा और पढ़ा जाता था। एक समय था जब मुझे पूजा जाता था और मेरी पुंछ पकड़ कर वैतरणी पार कर के स्वर्ग लोक के द्वार खुल जाते थे। घर में पकने वाली पहली रोटी मुझे ही दी जाती थी। मेरा सामाजिक और आर्थिक दर्जा होता था। मैं हर घर में एक अमूल्य प्राणी की तरह रहती थी। मेरा सम्मान किसी इंसान के सम्मान से भी अधिक होता था। मेरी सेवा करने को लोग अपना परम कर्तव्य होता मानते थे। वह भी समय था जब लोग मेरी सेवा के अवसर पा कर स्वयं को सौभाग्यशाली समझते थे क्योंकि वह मुझे माँ समान दर्जा देते थे। आज जब जन्म देने वाली माँ को भी इंसान घर से निकाल देता है तो उसकी नज़र में मेरी क्या औकात है।

आज लोग जब तक मैं दूध देती हूं तब तक मुझे पालते हैं और जैसे ही दूध देना बंद कर देती हूं तो मुझे घर से निकाल देते हैं और सड़कों पर लावारिस छोड़ आते हैं । यदि मैं वापस घर आने की कोशिश करता हूँ और घर के समीप आता हूँ तो लोग मुझे लाठी-डंडों से मार मार के भगा देते हैं। बहुत दिनों भूखी और प्यासी रहती हूं, गला सुख जाता है आँखों से आँशु बहते है लेकिन हे मनुष्य काश कि तेरे को मेरे यह आँशु और दर्द दिख पाता । हे मनुष्य कभी-कभी तो तू इतना गिर जाता है कि मुझे जंगल में रस्सियों के सहारे बांध देता है और मुझे मरने के लिए छोड़ देता है और धीरे धीरे भूखे प्यासे रहते हुए महीनों बाद मेरे प्राण निकलते है । क्या आपने कभी सोचा कि मेरी जगह आप और आपके जगह मैं होती तो कैसा होता ?

मनुष्य को दयालु प्राणी कहा जाता है ! आखिर कहां गई तेरी वह दया भावना जब मेरे ऊपर डंडों और पत्थरों से वार होता है तो ऐसा प्रतीत होता है कि मैं कोई प्राणी नहीं बल्कि निर्जीव वस्तु हूं जिसे बिल्कुल भी दर्द नहीं होता । हे मनुष्य यदि तू यूंही ही प्राणियों पर दया नहीं करोगे तो प्राणियों के श्राप का बहुत ही दुखद परिणाम होंगे जो एक उदाहरण के तौर पर आप आजकल कोरोना के रूप में भी देख रहे हो ।

हे मनुष्य अभी भी संभल जाओ और प्राणियों पर दया करो ।

आपकी ......
दर दर भटकती
डंडों और पत्थरों से मार खाती
आपकी भूखी प्यासी गाय माता ।




 

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