Date: 27 Oct 2020
देखकर दर्द किसी का जो आह निकल जाती है ।
बस इतनी सी बात आदमी को इन्सान बनाती है ।।
रुकमणी देवी जी के पति की मृत्यु के 6 माह बाद 35 साल के बड़े पुत्र बीर
सिंह की आकस्मिक मृत्यु और तत्पश्चात मात्र डेढ़ महीने के बाद छोटे पुत्र
सुनील सिंह की 33 वर्ष की आयु में अल्प मृत्यु हो जाने के बाद परिवार के
ऊपर जैसे मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो ।
वृद्धावस्था पेंशन और बहू की विधवा पेंशन से जो भी मिलता है उससे
जीवन यापन कर रहे हैं यह परिवार। रुकमणी देवी जी के दर्द की कल्पना शायद
रुकमणी देवी जी और उसका परिवार की ही जान सकती है और उसी दर्द पर मरहम
लगाने और उनके दर्द को बांटने समूण परिवार की टीम जा पहुंची उनके गांव टाट
जखोली रुद्रप्रयाग में ।
ऐसे परिवारों की सहायतार्थ सहयोग के हाथ बढ़ाएं एवं समूण परिवार से जुड़े:-
विनोद जेठुडी
समूण परिवार
मानवता की सेवा हेतु समर्पित
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